Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2024 · 2 min read

बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -191 के श्रेष्ठ दोहे (छिड़िया)

बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -191
शनिवार, दिनांक – 23/11/2024
प्रदत्त शब्द- #छिड़िया (जीना, सीढ़ी)
संयोजक राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

प्राप्त प्रविष्ठियां :-

1
छिड़ियाँ मइहर माइ कीं,पूजीं बारा साल।
किरपा भइ सो खेल रय,घर में जुड़वा लाल।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
2
मइ हर मइया शारदा,छिड़ियाँ चड़ौ अनेक।
तब कउँ दरसन पात है,चरनन माथों टेक।।
***
-शोभाराम दाँगी,नदनवारा
3
ऊँची मड़िया माइ की,देख हिया हरसाय।
बूड़ो-ठूड़ो आदमी,छिड़ियाँ बमकत जाय।।
***
-संजय श्रीवास्तव, मवई, दिल्ली
4
पिया अटरिया मैं अधर,बिषधर छिड़ियन बीच।
ब्रम्ह जीव बिच फैल गव,जौ मायावी कीच।।
***
-आशा रिछारिया, निवाडी
5
गाॅंव बजारन में हती,चोंरी चकरी पैल।
छिड़िया पै छिड़िया धरी,सकरी हो गइ गैल।।

***
-आशाराम वर्मा ‘नादान’पृथ्वीपुर
6
ज्वानी में चढ़ जात ते,सिड़ियाॅं कैउ हजार।
आउ बुढ़ापौ अब हमें, चढ़तन चढ़त बुखार।।
***
-डाॅ० राम सेवक पाठक ‘हरिकिंकर”, ललितपुर
7
नाव-राम खों नित जपो,दैहें प्रभु सोगात।
छिड़िया उमदा जा बनी,सूदी सरगे जात।।
***
-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा,विदिशा
8
ई कलजुग के आसरे,हो गय तुलसीदास।
रामायन सी दै गये, छिड़िया रचकें खास।।
***
– डॉ. देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा
9
छिडिया पैसें रिपटकें,गिरी मोंचगव पांव।
चिल्याबो सुन दौरकें,मैंने आन उठाव।।
***
-एम.एल.त्यागी, खरगापुर
10
बागेश्वर सें चल परी , मनइँ ओरछा धाम ।
छिड़िया पै धन्नै मुड़ीं , आँगें जाने राम ।।
***
– प्रमोद मिश्रा, वल्देवगढ
11
घर बैठें सौरत मिलै,करियौ नौनें काम।
करमन से छिड़िया चढ़ौ,जितै मिलत हौं राम।।
***
-सुभाष सिंघई ,जतारा
12
पैली छिड़िया छोड़कें , दूजी धर दव पांव।
गिरे ढड़क कें आखिरी , तब सें छोड़ो गांव।।
***
– वीरेन्द्र चंसौरिया, टीकमगढ़
13
मौका हतौ दिवाइ कौ, बैंची खूब कबाड़।
छिड़िया सें नैचें गिरे, टूटे सबरे हाड़।।
***
– अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
14
रावण के मन लालसा, छिडियाँ सरग लगाँय।
मन की मन में कल्पना, मंसा हती अथाँय।।
***
-रामानन्द पाठक ‘नन्द’,नैगुवां
15
मैहर की मां सारदा,परबत पै दरबार।
चड़बे खौं छिड़िया बनीं, पूरी एक हजार।।
***
-तरुणा खरे,जबलपुर
***
16
मानव की यौनी मिली,करों दया उर प्यार।
चढ़ो न छिड़िया पाप की, कर दें बंटाढार।।
***
एस आर ‘सरल’, टीकमगढ़
***

संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
🙏🙏🙏🙏🙏🙏

1 Like · 175 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
View all

You may also like these posts

यादों को छांव
यादों को छांव
Nanki Patre
मन का आँगन
मन का आँगन
Mamta Rani
म़ै....
म़ै....
हिमांशु Kulshrestha
मोहब्बत में कौन अपना होगा और कौन पराया,
मोहब्बत में कौन अपना होगा और कौन पराया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
तेरी याद आती है
तेरी याद आती है
Akash Yadav
किताबों वाले दिन
किताबों वाले दिन
Kanchan Khanna
..
..
*प्रणय प्रभात*
फागुन होली
फागुन होली
Khaimsingh Saini
देते हैं अपने यहां, अपनों को वनवास।
देते हैं अपने यहां, अपनों को वनवास।
Suryakant Dwivedi
देश की संस्कृति और सभ्यता की ,
देश की संस्कृति और सभ्यता की ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
जोड़ियाँ
जोड़ियाँ
SURYA PRAKASH SHARMA
जहरीला अहसास
जहरीला अहसास
RAMESH SHARMA
"जीने की तमन्ना"
Rahul Singh
मैं नारी हूँ
मैं नारी हूँ
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
****तन्हाई मार गई****
****तन्हाई मार गई****
Kavita Chouhan
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
मील के पत्थरों ने भटकाया
मील के पत्थरों ने भटकाया
Acharya Shilak Ram
ना जाने कब समझेगा दुनिया को ये बच्चा
ना जाने कब समझेगा दुनिया को ये बच्चा
Dr. Mohit Gupta
मोबाइल
मोबाइल
Dr Archana Gupta
प्रियतम
प्रियतम
Rambali Mishra
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
बड़ों का साया
बड़ों का साया
पूर्वार्थ
तेरी याद में हम रात भर रोते रहे
तेरी याद में हम रात भर रोते रहे
Jyoti Roshni
"सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
*सच्चा मित्र*
*सच्चा मित्र*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ख्वाब हमारा आप हैं ,
ख्वाब हमारा आप हैं ,
sushil sarna
**प्यार भरा पैगाम लिखूँ मैं **
**प्यार भरा पैगाम लिखूँ मैं **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बात
बात
सिद्धार्थ गोरखपुरी
3322.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3322.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
नये महमान
नये महमान
ललकार भारद्वाज
Loading...