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27 Oct 2024 · 1 min read

छंद- पदपादाकुलक 2+4+4+4+2=16

छंद- पदपादाकुलक
2+4+4+4+2=16

‘दीवारें’

वाणी को अंतर में तोलो।
सोचो समझो फिर मुख खोलो।
दीवारों के भी कान यहाँ।
इस कान यहाँ उस कान वहाँ।

सुनती हैं अपनी सब बातें।
कैसी गुजरी किसकी रातें।
हैं कान लगे दीवारों पर।
हाँ कभी इधर तो कभी उधर।

पास न इनके तुम बतियाना।
चुग लेंगी ये दाना दाना।
पाछे फिर तुम मत पछताना।
राज सभी को ये बतलाना।

इसकी सुनती उसकी सुनती।
खूब ध्यान से ताना बुनती।
राज सभी के बतला देती।
दाम किसी से कभी न लेती।

स्वरचित
गोदाम्बरी नेगी
हरिद्वार

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