“पेड़ पौधों की तरह मनुष्य की भी जड़ें होती हैं। पेड़- पौधों
“पेड़ पौधों की तरह मनुष्य की भी जड़ें होती हैं। पेड़- पौधों की तरह आदमी भी जिस हवा, पानी, मिट्टी, बोली- बानी, गीतों, रीति- रिवाजों, लोगों के बीच जन्मा होता है, उनसे दूर होकर कुम्हलाने लगता है।” – फिर वही सवाल