नारी तुम्हारी समझ
नारी तुम्हारी समझ सब पर भारी
जो समझा उसके घर खुशहाली
जो नहीं समझा उसके घर तंगहाली
तुम हो खुशियों की थाली
इसलिए हो घर की मलकानी।।
नारी तुम्हारी समझ सब पर भारी
जो समझा उसके घर खुशहाली
जो नहीं समझा उसके घर तंगहाली
तुम हो खुशियों की थाली
इसलिए हो घर की मलकानी।।