*खाकर नित पीली धूप सुखद, जाड़े का पर्व मनाऍं हम (राधेश्यामी

खाकर नित पीली धूप सुखद, जाड़े का पर्व मनाऍं हम (राधेश्यामी छंद)
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खाकर नित पीली धूप सुखद, जाड़े का पर्व मनाऍं हम
ऊष्मा को पाकर यों प्रसन्न, अंतर्मन से हो जाऍं हम
सौभाग्य उन्हीं का प्रबल रहा, जो धूप शीत की खाते हैं
जग के झूठे सुख छोड़-छाड़, धूपोत्सव सदा मनाते हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451