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2 May 2024 · 1 min read

दोस्त…….

दोस्त…….

किसी ने हमसे पूछा
क्यों दोस्त नहीं है तुम्हारे
क्यों कोई आता जाता नहीं
घर पर तुम्हारे

उनके चेहरे की तरफ देख
हम कुछ यूँ मुस्कुराए
के अभी तक हमारे मिजाज से
क्या वो वाकिफ नहीं हो पाएं

हमारे पास ग़मो का तहखाना है
उसमें नहीं किसी का
आना जाना है
छुपा रखा है उसे किताबो
की परतों में
बस किताबो से हमारा
याराना है
उन्ही से दोस्ताना पुराना है।

सुनकर अब तो वह भी मुस्कुराए
बोले बहुत खूब यार
तुमने तो बेहद अनमोल
दोस्त पायें
मुबारक हो तुम्हें
दोस्ती तुम्हारी
हम भी कितने
अज़ीज़ दोस्त के घर आएं।

हरमिंदर कौर
अमरोहा यूपी
मौलिक रचना

2 Likes · 117 Views
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