Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Mar 2025 · 1 min read

Today, I Choose to Let Go.

Today, I Choose to Let Go.

I choose to let go of the people who have already let go of me.

I choose to let go of the people who make me overthink, doubt myself, and question my worth.

I choose to let go of relationships that drain me.

Letting go isn’t easy, but holding on to what no longer serves me is even harder.

Today, I choose peace. I choose healing. I choose me💙

26 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

"सफलता"
Dr. Kishan tandon kranti
Empty love
Empty love
Otteri Selvakumar
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
श्री राम! मैं तुमको क्या कहूं...?
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
प्रार्थना- मन के सच्चे हम सब बालक -रचनाकार अरविंद भारद्वाज
प्रार्थना- मन के सच्चे हम सब बालक -रचनाकार अरविंद भारद्वाज
अरविंद भारद्वाज
तमन्ना है तू।
तमन्ना है तू।
Taj Mohammad
सीता ने हर ले गया रावण
सीता ने हर ले गया रावण
Baldev Chauhan
गांव
गांव
Bodhisatva kastooriya
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
हम दुख को भा गये ...
हम दुख को भा गये ...
Kshma Urmila
“दीपावली की शुभकामना”
“दीपावली की शुभकामना”
DrLakshman Jha Parimal
बिहार के रूपेश को मिला
बिहार के रूपेश को मिला "पीएचडी" की मानद उपाधि
रुपेश कुमार
मन मूरख बहुत सतावै
मन मूरख बहुत सतावै
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"बड़बोलापन यूं बना देख कोढ़ में खाज।
*प्रणय प्रभात*
इंतिज़ार
इंतिज़ार
Shyam Sundar Subramanian
सड़क जो हाइवे बन गया
सड़क जो हाइवे बन गया
आर एस आघात
आओ उर के द्वार
आओ उर के द्वार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
निराश मन-
निराश मन-
पूर्वार्थ
जिंदगी थोड़ी ही थम जाती हैं किसी के जाने के बाद
जिंदगी थोड़ी ही थम जाती हैं किसी के जाने के बाद
ruchi sharma
पग पग उलझन नई खड़ी है
पग पग उलझन नई खड़ी है
Madhu Gupta "अपराजिता"
*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
*घर में तो सोना भरा, मुझ पर गरीबी छा गई (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
बेसुरी खाँसी ....
बेसुरी खाँसी ....
sushil sarna
ग़ज़ल : तुमको लगता है तुम्हारी ज़िंदगी पुर-नूर है
ग़ज़ल : तुमको लगता है तुम्हारी ज़िंदगी पुर-नूर है
Nakul Kumar
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।
प्यार का नाम मेरे दिल से मिटाया तूने।
Phool gufran
See, self discovery isn't this comfortable, miraculous thing
See, self discovery isn't this comfortable, miraculous thing
पूर्वार्थ देव
मेरे हाथों से छूट गई वो नाजुक सी डोर,
मेरे हाथों से छूट गई वो नाजुक सी डोर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
यूँ तैश में जो फूल तोड़ के गया है दूर तू
Meenakshi Masoom
భారత దేశ వీరుల్లారా
భారత దేశ వీరుల్లారా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
दहेज
दहेज
Kanchan verma
बचपन की गलियों में
बचपन की गलियों में
Chitra Bisht
मुक्तक 3
मुक्तक 3
SURYA PRAKASH SHARMA
Loading...