Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 May 2024 · 1 min read

मैं और मांझी

कितने शीत, ताप फिर वृष्टि
ये आंखों को दिखलाएगी ?
जाने विधना की गति आगे
और कहाँ ले जाएगी ?
जीवन की जलधारा में
डगमग नैया डोल रही है।
उद्विग्नता मांझी की,
मेरे मन को झकझोर रही है।
खुद बैठा पतवार छोड़ वो
हो निराश सब तजे प्रयास ।
मैं पकडूं पतवार हाथ जो
मुझ पर भी न है विश्वास ।
दोनों ही स्थितियों में,
कैसे नाव लगेगी पार ?
मुझे उतरना है इस पार
उसे उतरना है उस पार ।
साथ एक यह जिम्मेदारी
चाहे नाव लगे जिस पार
संग उतरना है दोनों को
हो इस पार या उस पार |
इसीलिए पतवार फेंक दी
हे प्रभु मेरे सिरजनहार !
अब चाहे इस पार लगाओ
या ले जाओ फिर उस पार।

Language: Hindi
2 Likes · 106 Views
Books from Saraswati Bajpai
View all

You may also like these posts

अति सर्वत्र वर्जयेत्
अति सर्वत्र वर्जयेत्
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
मौत मंजिल है और जिंदगी है सफर
मौत मंजिल है और जिंदगी है सफर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
लाल और उतरा हुआ आधा मुंह लेकर आए है ,( करवा चौथ विशेष )
लाल और उतरा हुआ आधा मुंह लेकर आए है ,( करवा चौथ विशेष )
ओनिका सेतिया 'अनु '
सुप्रभात
सुप्रभात
navneetchaudhary7788
- एक कविता तुम्हारे नाम -
- एक कविता तुम्हारे नाम -
bharat gehlot
" गलतियाँ "
Dr. Kishan tandon kranti
23/220. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/220. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री राम कुमार बजाज*
*स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय श्री राम कुमार बजाज*
Ravi Prakash
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
दिली नज़्म कि कभी ताकत थी बहारें,
manjula chauhan
सुलेख
सुलेख
Rambali Mishra
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
चंद शब्दों से नारी के विशाल अहमियत
manorath maharaj
सड़क जो हाइवे बन गया
सड़क जो हाइवे बन गया
आर एस आघात
दिल की गलियों में कभी खास हुआ करते थे।
दिल की गलियों में कभी खास हुआ करते थे।
Phool gufran
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
मजदूर का दर्द (कोरोना काल )– गीत
Abhishek Soni
मकरंद
मकरंद
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
ज्ञात हो
ज्ञात हो
Dr fauzia Naseem shad
आँलम्पिक खेल...... भारतीय टीम
आँलम्पिक खेल...... भारतीय टीम
Neeraj Agarwal
You may not get everything that you like in your life. That
You may not get everything that you like in your life. That
पूर्वार्थ
In the bamboo forest
In the bamboo forest
Otteri Selvakumar
वैसा न रहा
वैसा न रहा
Shriyansh Gupta
दोहा पंचक. . . . नवयुग
दोहा पंचक. . . . नवयुग
sushil sarna
The leaf trying its best to cringe to the tree,
The leaf trying its best to cringe to the tree,
Chaahat
कुछ अजूबे गुण होते हैं इंसान में प्रकृति प्रदत्त,
कुछ अजूबे गुण होते हैं इंसान में प्रकृति प्रदत्त,
Ajit Kumar "Karn"
#श्रद्धांजलि
#श्रद्धांजलि
*प्रणय*
मेरी प्रतिभा
मेरी प्रतिभा
चेतन घणावत स.मा.
कितनी अजब गजब हैं ज़माने की हसरतें
कितनी अजब गजब हैं ज़माने की हसरतें
Dr. Alpana Suhasini
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
प्यार को शब्दों में ऊबारकर
Rekha khichi
जो गूंजती थी हर पल कानों में, आवाजें वो अब आती नहीं,
जो गूंजती थी हर पल कानों में, आवाजें वो अब आती नहीं,
Manisha Manjari
B52 - Nơi giải trí hàng đầu, thách thức mọi giới hạn với nhữ
B52 - Nơi giải trí hàng đầu, thách thức mọi giới hạn với nhữ
B52
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....,
मेरे दिल मे रहा जुबान पर आया नहीं....,
डॉ. दीपक बवेजा
Loading...