1222 1222 1222 1222

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सितम सहने अगर कहता तो आँखें भीग जाती है
रुआँसा देख लूँ चेहरा तो आँखे भीग जाती है
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वहां पे मौत का ताँडव तुझे भाया नहीं होगा
जहाँ अपना दिखे मरता तो आखें भीग जाती है
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न जाने कौन सी बिजली गिरी होगी वहां तुम पर
अकेले में कभी सोता तो आखे भीग जाती है
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कोई सैलाब में लाशो के पहचाना दिखा हो तब
वो बीता पल कहीं रुकता तो आखें भीग जाती है
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चिरागों का घरों बुझना समझ से है परे बातें
बदलता वक्त का चेहरा तो आखें भीग जाती है
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सुशील यादव दुर्ग (cg)
7000226712