“मकर संक्रांति की बधाई 2025”

सूर्य, उत्तरायण भयो, मकर राशि, भइ प्यारी।
सँक्रान्ति शुभ, सबन्हँ कौ, दाता की बलिहारी।
कुम्भ समागम हय गयौ, छबि प्रयाग की न्यारी।
सन्त-अखाड़ा, जुटि रहे, छत्रप, अश्व सवारी।
स्नान-ध्यान, गुड़-तिल सहित, करत दान नर-नारी।
अमरित बरखा हय रही, पुन्य, पाप पर भारी।।
आतातायी, दुष्टजनन की, होइ, चतुर्दिक हारी।
करहु प्रयास भगीरथ, अब ना दिखै दीन दुखियारी।
भक्ति, आस्था, राह दिखावत, सुनियौ अरज हमारी।
भलो जगत कौ माँगैँ हरि ते, आशादास भिखारी..!
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