स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण पांडेय निर्झर की पुस्तक 'सुरसरि गंगे
मैंने कभी कुछ नहीं मांगा तुमसे
*गैरों सी! रह गई है यादें*
- तेरे बिना भी क्या जीना -
#शीर्षक:-तो क्या ही बात हो?
जो भगवान श्रीकृष्ण अपने उपदेश में "धर्मसंस्थापनार्थाय संभवाम
*हर किसी के हाथ में अब आंच है*
यह देख मेरा मन तड़प उठा ...
जब से मेरे सपने हुए पराए, दर्द शब्दों में ढलने लगे,
अजीब सी बेचैनी हो रही थी, पता नही क्यों, शायद जैसा सोचा था व
आंख हो बंद तो वो अपना है - संदीप ठाकुर