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23 Jan 2025 · 1 min read

दोहा चौका. . . . प्रणय

दोहा चौका. . . . प्रणय

वरण करूँ मैं मौन या , तुमको दूँ आवाज ।
प्रणय अनुभूति का प्रिये , कैसे हो आगाज ।।

मौन अधर फिर भी हुआ, प्रणय बोध संचार ।
सृजित प्रणय का नैन में, हुआ नवल संसार ।।

अनुरोधों के ज्वार की, ऐसी चली बयार ।
प्रणय क्षुधा बढ़ती गई, प्रखर हुए अभिसार ।।

पलक ओट से प्रेम के, मुखर हुए उद्गार ।
शनैः- शनै: दूरी घटी, स्वप्न हुए साकार ।।

सुशील सरना / 23-1-25

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