इश्क
इश्क नहीं हमारा यह तो मेरे खुदा की इबादत है,
हम दोनों को जन्म-जन्म से एक दूजे की आदत है।
यूं ही गहरा होता रहे उम्र के साथ यह रंग इश्क का,
हम तो वैसे ही फ़ना हो गए यह कैसी कयामत है।
प्रतिभा आर्य
37 चेतन एनक्लेव
फेज -2जयपुर रोड (अलवर)
राजस्थान