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21 Feb 2024 · 1 min read

"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।

“शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
तिलक भाल पर नित्य लगाना, भजन आरती भी गाना।।
पूजा पूरी मत मानो वह, नहीं देव गुण अपनाए;
स्वाद वस्तु का पढ़े न मिलता, चखकर ही सबको आए।।”

आर.एस. ‘प्रीतम’

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