कर्म

बस कर्म ही हमारा साथ है ।
भाग्य तो विधाता के हाथ है ।
खोया सुख चैन और कि चाह में ,
जो प्राप्त है वो भी अपर्याप्त है ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@…
बस कर्म ही हमारा साथ है ।
भाग्य तो विधाता के हाथ है ।
खोया सुख चैन और कि चाह में ,
जो प्राप्त है वो भी अपर्याप्त है ।
….विवेक दुबे”निश्चल”@…