मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
सपनों की उड़ान: एक नई शुरुआत
"पहले मुझे लगता था कि मैं बिका नही इसलिए सस्ता हूँ
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
सत्य क्या है ?
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
ग़ज़ल : कई क़िस्से अधूरे रह गए अपनी कहानी में
My biggest fear is attachment.
कभी हैं भगवा कभी तिरंगा देश का मान बढाया हैं
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
- कल तक कोई हाल - चाल न पूछता था -
करोगे वो जो कराया गया है,
बस कुछ दिन और फिर हैप्पी न्यू ईयर और सेम टू यू का ऐसा तांडव
जैसे कि हर रास्तों पर परेशानियां होती हैं
जब हम गरीब थे तो दिल अमीर था "कश्यप"।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
प्रदीप : श्री दिवाकर राही का हिंदी साप्ताहिक (26-1-1955 से
रास्ते का फूल ना बन पाई तो..