कल्कि प्रिय- स्रोत नदी

कल्कि प्रिय- स्रोत नदी
जब जब प्रभु ने लिया, इस भू पर अवतार
एक नदी पर है किया, माँ कहकर उपकार
माँ कहकर उपकार, राम की सरयू मैया
कृष्ण खेलते तीर, चराते यमुना गैया
हर्षित होंगे संत, विप्र के भाग्य जगेंगे
अविरल होगी धार, स्रोत के स्रोत खुलेंगे
कह बाबा हर्षाय, नदी के भाग्य जगेंगे
कल्कि करें उद्धार, स्रोत से मात कहेंगे
©दुष्यंत ‘बाबा’