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22 Dec 2024 · 1 min read

"विश्व साड़ी दिवस", पर विशेष-

“विश्व साड़ी दिवस“( 21 दिसम्बर 2024) पर बधाई स्वरूप एक रचना सादर प्रस्तुत है-💓🙏

यूँ तो हैं परिधान बहुत,
पर साड़ी सब से न्यारी।
जो भी पहने इसको,
लगती रँगत सब से प्यारी।।

फबे सभी पर, भले कोई हो,
इसकी सभी दिवानी।
फिर वह कोई हो दासी या,
राजमहल की रानी।।

पहन, परी पापा की, पुलकित,
या फिर बहू दुलारी।
दादी, नानी, बुआ सभी से,
लगती इसकी यारी।।

कहीं चँदेरी, कहीं पटोला,
सिल्क बनारस वाली।
काँजीवरम, शिफ़ान, जार्जट,
अरगेन्ज़ा मतवाली।।

कहीं चिकनकारी, मूँगा या,
ख्याति लिनेन ने पाई।
ताँत, लहरिया, बोमकाइ ,
कहुँ पैठानी, ढाकाई।।

कहीं जामदानी, फुलकारी,
कहीं कासवू छाई।
सम्भलपुरी साड़ियों ने भी,
अपनी धाक जमाई।।

पोचमपल्ली, बालूचेरी,
कहीं पर कलमकारी।
सूती, सदाबहार,
रोज़ ही आती इसकी बारी।।

क्षरण सँस्कृति का, दिन-प्रतिदिन,
हो किस विधि भरपाई।
सरल, सौम्य सी साड़ी ने ही,
दिल में जगह बनाई।।

एक रहें अरु नेक बनें सब,
“बन्धेजी” सिखलाई।
जाति, धर्म का युद्ध व्यर्थ,
है युक्ति ख़ूब बतलाई।।

गूँजे ” साड़ी दिवस “
हृदय से*आशा* “पूर्ण बधाई।
नारी अरु साड़ी की गरिमा,
घटे न मेरे भाई..!

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