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4 Apr 2021 · 1 min read

?ग़ज़ल?

??ग़ज़ल??
मीटर-212-212-212-212

शूल सी चुभ गई बेरुखी यार की
दर्द सा थी लिए बात इंकार की//1

ख़ार दिल में लिए ज़िंदगी बोझ है
दो घड़ी ही जियो पर जियो प्यार की//2

रूठ कर तो रहोगे तन्हा मौन बन
इक जगह हो पड़ी चीज़ बेकार की//3

रूह की हर सुनो छोड़ मन की जिरह
ज़िंदगी हो हसीं मौज गुलज़ार की//4

इक समर मान लो ज़िंदगी तो मज़ा
धार दे ये सदा तेज तलवार की//5

आज दिल हँस रहा ये हँसे यूँ सदा
इक दुवा है यही ईश आभार की//6

शौक़ प्रीतम ग़जल सा हुआ है मिरा
बात हर बोल दे तोल संसार की//7

??आर.एस.’प्रीतम’??

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