Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Oct 2016 · 3 min read

रमेशराज के ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में 7 बालगीत

क्या है ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ ?
—————————————–
मित्रो !
‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ , छंद शास्त्र और साहित्य-क्षेत्र में मेरा एक अभिनव प्रयोग है | इस छंद की रचना करते हुए मैंने इसे १६-१६ मात्राओं के ६ चरणों में बाँधा है, जिसके हर चरण में ८ मात्राओं के उपरांत सामान्यतः (कुछ अपवादों को छोडकर ) आयी ‘यति’ इसे गति प्रदान करती है | पूरे छंद के ६ चरणों में ९६ मात्राओं का समावेश किया गया है |
‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ की एक विशेषता यह भी है कि इसके प्रथम चरण के प्रारम्भिक ‘कुछ शब्द’ इसी छंद के अंतिम चरण के अंत में पुनः प्रकट होते हैं | या इसका प्रथम चरण पलटी खाकर छंद का अंतिम चरण भी बन सकता है |
छंद की दूसरी विशेषता यह है कि इस छंद के प्रत्येक चरण के ‘कुछ अंतिम शब्द ‘ उससे आगे आने वाले चरण के प्रारम्भ में शोभायमान होकर चरण के कथ्य को ओजस बनाते हैं | शब्दों के इस प्रकार के दुहराव का यह क्रम सम्पूर्ण छंद के हर चरण में परिलक्षित होता है | इस प्रकार यह छंद ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ बन जाता है |
‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में मेरा उपनाम ‘राज ‘ हो सकता है बहुत से पाठकों के लिये एतराज का विषय बन जाए या किसी को इसमें मेरा अहंकार नज़र आये | इसके लिये विचार-विमर्श के सारे रास्ते खुले हैं |
‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ पर आपकी प्रतिक्रियाओं का मकरंद इसे ओजस बनाने में सहायक सिद्ध होगा | ——र

रमेशराज के ‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में 7 बालगीत

‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में बालगीत-1
———————————–
” जल-संकट हो, अगर कटे वन
अगर कटे वन, सूखे सावन
सूखे सावन, सूखे भादों
सूखे भादों, खिले न सरसों
खिले न सरसों, रेत प्रकट हो
रेत प्रकट हो, जल-संकट हो | ”
(रमेशराज )

‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में बालगीत-2
———————————–
मत मरुथल को और बढ़ा तू
और बढ़ा तू मत गर्मी-लू,
मत गर्मी-लू, पेड़ बचा रे
पेड़ बचा रे, वृक्ष लगा रे,
वृक्ष लगा रे, तब ही जन्नत
तब ही जन्नत, तरु काटे मत |
(रमेशराज )

‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में बालगीत-3
————————————–
नटखट बन्दर छत के ऊपर
छत के ऊपर , झांके घर – घर
झांके घर – घर , कहाँ माल है ?
कहाँ माल है ? कहाँ दाल है ?
कहाँ दाल है ? मैं खाऊँ झट
मैं खाऊँ झट , सोचे नटखट | ”
(रमेशराज )

‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में बालगीत-4
————————————-
” बबलू जी जब कुछ तुतलाकर
तुतलाकर बल खा इठलाकर ,
इठलाकर थोड़ा मुस्काते
मुस्काते या बात बनाते ,
बात बनाते तो हंसते सब
सब संग होते बबलू जी जब |
(रमेशराज )

‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में बालगीत-5
—————————————-
” फूल – फूल पर तितली रानी
तितली रानी लगे सुहानी ,
लगे सुहानी इसे न पकड़ो
इसे न पकड़ो, ये जाती रो ,
ये जाती रो खेत – कूल पर
खेत – कूल पर फूल – फूल पर |
(रमेशराज )

‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में बालगीत-6
—————————————
” बढ़ा प्रदूषण , खूब कटें वन
खूब कटें वन , धुंआ – धुँआ घन
धुंआ – धुँआ घन , जाल सड़क के
जाल सड़क के , मरुथल पसरे
मरुथल पसरे , तपता कण – कण
तपता कण – कण , बढ़ा प्रदूषण | ”
(रमेशराज )

‘नव कुंडलिया ‘राज’ छंद’ में बालगीत-7
———————————-
” बस्ता भारी लेकर बच्चा
लेकर बच्चा , सन्ग नाश्ता
सन्ग नाश्ता , पढ़ने जाये
पढ़ने जाये , पढ़ ना पाये
पढ़ ना पाये पुस्तक सारी
पुस्तक सारी , बस्ता भारी | ”
(रमेशराज )

——————————————-
+रमेशराज, 15/109, ईसानगर, a अलीगढ़-202001

Language: Hindi
326 Views

You may also like these posts

बदल डाला मुझको
बदल डाला मुझको
Dr fauzia Naseem shad
समय
समय
Rajesh Kumar Kaurav
चलो बीज बोते हैं
चलो बीज बोते हैं
Girija Arora
क्या श्रीमद्भगवद्गीता में सभी समस्याओं का समाधान मौजूद है? (Is there a solution to all the problems in Srimad Bhagavad Gita?)
क्या श्रीमद्भगवद्गीता में सभी समस्याओं का समाधान मौजूद है? (Is there a solution to all the problems in Srimad Bhagavad Gita?)
Acharya Shilak Ram
टुकड़े हजार किए
टुकड़े हजार किए
Pratibha Pandey
ऐ मेरी जिंदगी
ऐ मेरी जिंदगी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
सपनों का ताना बना बुनता जा
सपनों का ताना बना बुनता जा
goutam shaw
काफिला
काफिला
Amrita Shukla
*रामलला सिखलाते सबको, राम-राम ही कहना (गीत)*
*रामलला सिखलाते सबको, राम-राम ही कहना (गीत)*
Ravi Prakash
खबरदार होना चाहिए
खबरदार होना चाहिए
Ghanshyam Poddar
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
हम किसी सरकार में नहीं हैं।
Ranjeet kumar patre
क्षणिका  ...
क्षणिका ...
sushil sarna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सुलगती भीड़
सुलगती भीड़
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
प्यार के मायने बदल गयें हैं
प्यार के मायने बदल गयें हैं
SHAMA PARVEEN
2686.*पूर्णिका*
2686.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
1. Life
1. Life
Ahtesham Ahmad
नील पदम् के दोहे
नील पदम् के दोहे
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
होली पर
होली पर
Dr.Pratibha Prakash
फ़ुरसत
फ़ुरसत
Shashi Mahajan
😊
😊
*प्रणय*
"आपकी अदालत"
Dr. Kishan tandon kranti
हमें लिखनी थी एक कविता
हमें लिखनी थी एक कविता
shabina. Naaz
एक रहोगे तो सेफ रहोगे
एक रहोगे तो सेफ रहोगे
विजय कुमार अग्रवाल
प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
प्रेम के दरिया का पानी चिट्ठियाँ
Dr Archana Gupta
*जुदाई न मिले किसी को*
*जुदाई न मिले किसी को*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
वामा हूं
वामा हूं
indu parashar
अध्यात्म चिंतन
अध्यात्म चिंतन
डॉ० रोहित कौशिक
तेरी यादों की..
तेरी यादों की..
हिमांशु Kulshrestha
Loading...