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4 May 2024 · 1 min read

सखि आया वसंत

सखि वन में खिले अमलतास
खुशबू उनमें है खास
रंग उसका सुनहरा
पेड़ है हरा भरा
नाच उठा मन भ्रमरा
टूट गया भ्रम हमरा

सखी उपवन में गुलमोहर की बहार
भंवरे गुंजन करें बार-बार
फूलों से लें उनका सार
हर्षित है सारा संसार
पंछियों की कलरव की झंकार
आती मधुर पपीहा की पुकार

सखी आम्र शाखों पर कोयल की कूक प्यारी
सभी पंछियों से लगती न्यारी
चकवा को चकवी प्यारी
चंद्रमा को निहारे रात सारी
ओम् न आए अबकी बारी
विरहिन तरसे प्रेम की मारी

ओमप्रकाश भारती ओम्
बालाघाट मध्यप्रदेश

Language: Hindi
116 Views
Books from ओमप्रकाश भारती *ओम्*
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