*रंगों की खुमारी है*

रंगों की खुमारी है
लेके पिचकारी हाथ,ग्वाल- बाल टोली साथ।
घूम रहा गली-गली,मदन मुरारी है।
नीले- पीले हरे- लाल,भाँति-भाँति के गुलाल।
मल रहा हर गाल, गोवर्धनधारी है।
करे बरजोरी श्याम,सारा दिन आठों याम।
रंग रहा तन- मन,मार पिचकारी है।
होली के हैं दिन चार,बह रही रंग धार।
हर एक तन छाई, रंगों की खुमारी है।।
खेलें होली राधा रानी,पहन चूनर धानी।
नीले- पीले रंग रंगी, लगे अति प्यारी है।
श्याम रंग रंगी राधा, श्याम रंगने में बाधा।
छत रंग डार रही, भानु की दुलारी है।
झूम रहे नर- नार,तन में खुशी अपार।
गोकुल वृन्दावन की,होली अति न्यारी है।
कोई खेले लठ मार, कोई खेले जल धार।
होली में भी प्यारी लगे,ग्वालन की गारी है।।
स्वरचित रचना-राम जी तिवारी”राम”
उन्नाव (उत्तर प्रदेश)