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13 Feb 2024 · 1 min read

23. गुनाह

मतलब के सब रास्ते हैं,
बेमतलब इस दुनिया में;
अब साथ नहीं तो कहते हैं,
ये भी गुनाह तुम्हारा है।

चमकते रास्तों से कट गई,
जो गाँव जाने की वो गली;
उनपर पाँव बढ़ा दिए हैं,
ये भी गुनाह तुम्हारा है।

शाम की खिड़की झाँकती रही,
सूने मन की आँगन में;
बचपन वापस नहीं आता है,
ये भी गुनाह तुम्हारा है।

दुबककर सो जाते थे तब,
खटिए के उन फीतों पर;
अब महल में नींद नहीं आती,
ये भी गुनाह तुम्हारा है।

तारों में खो जायेंगे जब,
जलते दीपक जीवन के;
कोसेंगे फिर ‘घुमंतू’ को कह,
ये भी गुनाह तुम्हारा है।।

~राजीव दत्ता ‘घुमंतू’

Language: Hindi
121 Views

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