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16 Jun 2024 · 8 min read

अपना सा नाइजीरिया

अपना सा नाइजीरिया

नाइजीरिया अफ़्रीका की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, सबसे अधिक जनसंख्या, सबसे अधिक खनिज संपदा वाला देश, जहां हम पच्चीस वर्षों से रह रहे है , फिर भी इसे पूरी तरह अपना नहीं पाए , यह यहाँ की स्थितियाँ हैं या हमारे में कुछ कमी है, कहना कठिन है ।

पच्चीस वर्ष पूर्व जब हम पहली बार घर में घुस रहे थे तो सिक्योरिटी ने गेट खोला और झुककर कहा,
“ गुड इवनिंग मास्टर, गुड ईवनिंग मैडम ।”
मुझे एक अजीब सी दासता की बू आई इन शब्दों से , और बाद में पता चला , यहाँ पर आपके लिए चीजें सरल होती जाती हैं , यदि विदेशी हैं तो ! इतनी हीन भावना होगी , तो आत्मविश्वास कहाँ से आएगा , और यदि आत्मविश्वास नहीं होगा तो यह देश कैसे अपनी पहचान बनायेगा , कैसे सुदृढ़ होगा ? बहुत से प्रश्नों में से यह भी एक प्रश्न था , जिसका उत्तर मुझे ढूँढना था ।

ग़रीबी इतनी अधिक है कि गाँव के युवक युवतियाँ काम की तलाश में पोलथीन के थैले में एक जोड़ा कपड़ा डालकर शहर चले आते हैं । भाईचारा इतना है कि गाँव के किसी भी बंधु बांधव के यहाँ ठहर जाते हैं। आप इन्हें एक रोटी देंगे तो उसे भी बाँटकर खायेंगे । किसी को यदि नौकरी से निकालेंगे तो आसपास के सब लोग उसको दोबारा काम पर रखने के लिए सिफ़ारिश करने आ जायेंगे ।अपनी भूख के बावजूद गाँव में घर ज़रूर भेजेंगे । इस देश को समझना कठिन है, एक-तरफ़ तो इतना भ्रष्टाचार और दूसरी ओर इतना भाईचारा ! शायद राष्ट्रवाद का भाव पूरी तरह विकसित न होने के कारण ऐसा होता है । अभी भी इस देश में जनजातीयता की भावना बहुत तीव्र है। एक ग्रहयुदध तो हो ही चुका है । चिमानाडा नगोजी आडीची का उपन्यास ‘ Half of a yellow sun’ इस विषय पर बहुत प्रसिद्ध हुआ है ।

2014 में यहाँ लगोस में इबोला का आकरमण हुआ था , जिसे लगोस के अस्पताल में डाक्टरों ने अपने जीवन का बलिदान देकर फैलने से रोक लिया था । इस विषय पर एक फ़िल्म बनी थी , 93 Days , जो यहाँ के लोगों के लिए आपका दिल सम्मान से भर देती है ।

नाइजीरियन का दिल अपने गाव में अपनी माँ में बसता है । क्रिसमस में शहर ख़ाली सा लगता है । हर कोई माँ से मिलने गाँव जाता है, यही वह समय होता है जब सब भाई बहन, रिश्तेदारों से मिलना होता है। आपके कर्मचारी क्रिसमस में घर जायेगे ही जायेंगे । धनी लोग चाहे शहरमें कितना ही बड़ा घर बना लें उनका सबसे शानदार मकान अपने गाँव में ही होगा । यदि क्रिश्चियन है तो मरने के बाद उनको दफ़नाया भी वहीं जायेगा । क्रिश्चियन का दफ़नाना भी बड़े रीति रिवाज से होता है, कई बार कौन से रंग के कैसे कपड़े पहने जायें इसकी हिदायत आयेगी । ऐसे मौक़ों पर कई बार यह अच्छा ख़ासा पैसा कमा लेते हैं , विदेशी कपड़ा ले आयेंगे और आने वालों को वही कपड़ा पहन के आना पड़ेगा, जिसे यह ऊँचे दामों में बेचेंगे । कई बार बरियल महीनों रूका रहेगा क्योंकि बिज़नेस ठीक नहीं चल रहा , और आत्मीय को ठाट से विदा नहीं कर पा रहे ।

2001 में हम लगोस में अपनी कार में जा रहा थे, और सड़क के किनारे बहुत सी लड़कियाँ खड़ी थी , पता चला , वे काल गर्ल्स हैं । बाद में पता चला , पूर्व में जहां तेल के कुएँ हैं , और बड़ी बड़ी विदेशी कंपनियों ने बेहिसाब धन कमाया है, और वहाँ वातावरण को इतना दूषित कर दिया है कि खेती नष्ट हो गई है , पीने का पानी दुर्लभ हो गया है, वहाँ की बेटियों के लिए वैश्यावृति एक काम का चुनाव हो गया है, जिसे योजनाबद्ध तरीक़े से समझा और किया जाता है । ग़रीबी कैसे आपके जीवन मूल्य निगल जाती है यह इसका एक दुखद उदाहरण है ।

यहाँ कभी न केवल बहुत अधिक गरमी , न बहुत अधिक सर्दी होती है , बहुत आराम का मौसम है, ज़मीन इतनी उपजाऊ है कि , आम पेड़ से झुककर ज़मीन को छूने लगते है। वर्षा ऋतु में ऐसा लगता है, मानो आपको सब मिल गया हो, इतनी सुखद हवा , आपको पूरी तरह से संतुष्ट कर जाती है।

अंग्रेजों के आने से पहले यह राष्ट्र कृषि प्रधान था, इनका अपना धर्म, संस्कृति, औषधि विज्ञान, मिथक आदि थे । चिनुआ अचाबे ने अपना उपन्यास ‘ Things fall apart ‘ में उस टूटते समाज को बहुत सुंदर तरीक़े से दर्शाया है, उन्हें इसके लिये नोबेल पुरस्कार भी मिला है । सच बात तो यह है , नाइजीरियन बहुत अच्छे कथाकार और वक्ता है, कितने ही लेखकों ने अपने समय की कहानी कहकर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपना नाम बनाया है। इनके संगीत, नृत्य, चित्रकला में एक प्राकृतिक सौंदर्य है , जो आपको मिट्टी की सौ्धी सुगंध सा सुखद लगता है । यहाँ 15वी शताब्दी में पुर्तगाली मिशनरी ईसाईत लेकर आए, अंग्रेजों ने ईसाई धर्म बढ़ाया, और यह देश मुसलिम और ईसाई धर्मों में बंट गया ।

आरंभ में जब हम यहाँ आए थे तो यह बहुत साधारण बात थी कि परिवार के कुछ लोग मुस्लिम होते थे और कुछ ईसाई, और यह बच्चों के चुनाव पर निर्भर करता था कि वह किसे चुनना चाहते हैं और कब चुनना चाहते हैं , यह मुद्दा संघर्ष का था ही नहीं ।

यहां पर बहु विवाह प्रथा अब भी है, इसलिए जब भी हमें कोई अपने भाई बहनों से परिचित कराता है तो यह प्रश्न सहज हो जाता है ,
“ सेम मदर , सेम फादर?”
तो वे इसे व्याख्यायित करेंगे, नहीं , यह मेरे गाँव का भाई है, या नहीं माँ एक है बाप अलग है , वग़ैरा । यदि आप ईसाई हैं तो दुनिया को बताने के लिए आपकी एक पत्नी होगी , पर गर्लफ़्रेंड प्रायः कई हो सकती है, जिसे आपके मित्र स्वीकार कर लेते है । बच्चे पालने की ज़िम्मेदारी औरत पर ही होती है , और औरत का स्थान परिवार में पुरूष से कम है । जब हम शुरू में आए तो हमने देखा, स्कूल में , बाज़ार में हम जहां भी अपनी दस साल की बेटी के साथ जाते थे , पुरूष उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रख देते थे , एक दो झगड़ों के बाद पता चला यह उनका प्रशंसा करने का तरीक़ा है, जहां पुरूष पूरी तरह से स्वच्छंद है, वहाँ वह बंधन में बंधने के लिए इच्छुक है, इससे बड़ी प्रशंसा क्या हो सकती है ?

नौलीवुड यहाँ की बहुत बड़ी फ़िल्म इंडस्ट्री है, शायद विश्व में तीसरे नंबर पर , और इनमें इनकी संस्कृति का चित्रण बहुत अच्छे तरीक़े से होता है। इनके द्वारा गाँवों से लेकर शहरों की ज़िंदगी को आप बहुत अच्छे से जान सकते है।

पूरे विश्व में यह एक असुरक्षित जगह के रूप में जाना जाता है , और यह सही है । ग़रीबी इतनी अधिक है कि आप किसे दोष दे ? यह असुरक्षा समय के साथ बड़ती जा रही है , पहले हम दूर तक घूमने चले जाते थे , परन्तु अब अंबुजा में हम कुछ ही सड़कों पर जाते हैं , लगोस में एरिया ब्वायज, जिन्हें हमारी भाषा में इलाक़े के दादा कहेंगे का डर हमेशा बना रहता है । कई वर्ष पूर्व मैं लगोस में गो स्लो में फँस गई थी , एक आदमी हमारी कार में घुस आया, और उसने कार की चाबियाँ हथिया ली , और उसने तब तक नहीं लौटाई जब तक हमने उसकी मुँह माँगी रक़म नहीं दे दी ।

शिक्षा की सुविधा न होने के कारण अमीरों के बच्चे आरंभ से ही विदेशों में शिक्षा पाते हैं । बहुत कम औरतें घर रहकर बच्चों को पालती है, परिवार पालने के लिए उन्हें घर से बाहर जाकर कमाना ही पड़ता है , यदि आप गरीब हैं तो आपके छोटे बच्चे किसी रिश्तेदार के साथ पल रहे होते हैं , और यदि अमीर हैं तो आपके बच्चे नौकरानियों के हवाले होते हैं ।

विवाह के समय लड़के को लड़की के माँ बाप को ब्राइड प्राइज़ देना होता है । पैसों की कमी के कारण इनकी कई बार समय पर शादियाँ नहीं हो पाती , लड़के गवर्नमेंट से किसी आर्डर की इंतज़ार में सालों गुज़ार देते है, ताकि आर्डर से पैसे मिलें और वे शादी कर सकें ।

एक बार हमारा एक नाइजीरियन मित्र अपनी पत्नी को लेकर शादी की वीडियो दिखाने हमारे घर आया । अपने गाँव के लोगों के साथ खाना बनाकर वह लड़की के गाँव सबके लिए खाना लेकर वह विवाह करने आया था । वह लड़की अनाथ थी , इसलिए गाँव के मुख्या ने उसके बाप का फ़र्ज़ निभाया था , लड़के ने सारा सामान मुख्या के सामने रख दिया , मुख्या ने ब्राइड प्राइज़ की सूची से समान गिनना आरम्भ किया, तो एक क्रेट कोकाकोला का कम निकला , जिसके लिए अच्छा ख़ासा झगड़ा हो गया , आख़िरकार लड़के ने क्रेट के पैसे दिये तो शादी हुई ।

ईसाईयों की एक शादी गाँव में नाइजीरियन रीति रिवाज से होती है, और फिर एक पैसे वाले शहर में वाइट वैडिंग करेंगे ।

मुझे कुछ समय पूर्व बहुत खाँसी हो गई थी , मैं महीनों सो नहीं पाई, आंटी बायटिकस ने मेरी हालत ख़स्ता कर दी थी । एक दिन मेरी काम वाली ने कहा , आप नाइजीरियन दवाई लोगे ? मेरी हालत इतनी ख़राब थी कि मैं कुछ भी ले लेती , वह सस्ता सा , बिटर कोला नट ले आई , जो मुझे करेले से कहीं कम कड़वा लगा । पहले दिन ही मैं बहुत महीनों बाद आराम से सो पाई और तीन दिन में पूरी तरह भली चंगी हो गई ।

यहाँ पर कवि सम्मेलन नहीं होते , पर पोएट्री स्लैम होते हैं । आप चाहे तो उसमें जज बन सकते हैं , और हरेक कविता पाठ के बाद नंबर दे सकते हैं । श्रोता कविता के बाद दो मिनट के लिए अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं । कई बार यह प्रतिक्रिया मंच पर आकर नृत्य या एकरोबैटिकस के रूप में भी अभिव्यक्त की जा सकती है ।

अंग्रेज़ी के साथ साथ यहाँ परिजन इंगलिश भी चलती है , जो अंग्रेज़ी और नाइजीरियन भाषा का अद्भुत संगम है, एकदम जीवंत भाषा है , इस भाषा के कामेडियाँ दुनिया भर में पसंद किये जाते हैं । इसका एक उदाहरण देती हूँ । हम आरम्भ में जब आए तो जहां भी जाते थे , मेज़बान कहते,
“ लीजिए स्माल चाप लीजिए । “
हम परेशान हो जाते, कहाँ है यह स्माल चाप ? कुछ समय तक हम इसका अनुमान लगाते रहे , आख़िर हमने एक मित्र से पूछा, “ भई किया है यह स्माल चाप ?” तो वह ज़ोर से हंस दिया , उसने बताया यह परिजन इंगलिश है , “ स्माल अर्थात् छोटा, चाप मतलब खाना , यानि स्नैकस खाना, क्योंकि यह मुख्य भोजन नहीं है, इसलिए स्माल चाप । ऐसे ही आपको अनेकों उदाहरण मिल जायेंगे , और इनकी रचनाधर्मिता आपको खुश कर देगी ।

आप यदि किसी नाइजीरियन को हंसते हुए देख लें तो बरबस मुस्करा दे , इतनी उन्मुक्त हंसी , विनयी व्यवहार, आपका दिल जीत लेगा ।

हरेक समाज के अपने सपने, अपनी मुश्किलें होती हैं , जो ऐतिहासिक कारणों से बनती है। यदि यहाँ अंग्रेज न आते तो शायद इनके समाज का पुराना ढाँचा बना रहता , तेल न मिलता तो कृषि नष्ट नहीं होती , न भ्रष्टाचार बढ़ता और न गरीब अमीर का इतना फ़र्क़ होता । यह सारे कारण न होते तो शायद गृहयुद्ध भी न होता , कई जवान पीढ़ियों को यदि दास बनाकर न ले ज़ाया गया होता तो यह देश कभी इतना लाचार न होता , यह संघर्ष करता और अपने जीवन मूल्यों को मज़बूत करता । परन्तु यह सब तो हुआ , सौभाग्य से इंटरनेट ने यहाँ के शहरों के युवा वर्ग के लिए बहुत से रास्ते खोल दिये हैं और यह राष्ट्र फिर से अपनी खोई अस्मिता ढूँढ रहा है, भले ही यह सब केवल बुद्धिजीवी वर्ग तक सीमित हो ।
— शशि महाजन

Language: Hindi
224 Views
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