विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 109 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 26 Apr 2024 · 1 min read दिल पर करती वार मरी हुई संवेदना, दिल पर करती वार। नादां इंसा क्या करे, पड़ा बीच मझधार।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 3 84 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Apr 2024 · 1 min read छूटा उसका हाथ जुड़ी रही संवेदना, हर इक दिल के साथ। तड़पे दिल नादान सा, छूटा उसका हाथ।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 24 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Apr 2024 · 1 min read दिल से निकले हाय मरती जब संवेदना, दिल से निकले हाय। सितम आखरी ही सही, नोच-नोच कर खाय।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 1 70 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 23 Apr 2024 · 1 min read लेकर सांस उधार मरी हुई संवेदना, साधे शर उर पार। भाव बेचारे सिसकें, लेकर सांस उधार।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 3 70 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 22 Apr 2024 · 1 min read भरे हृदय में पीर गहरी सी संवेदना, पाश लिए गंभीर। बाहर भीतर डोलकर,भरे हृदय में पीर।। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 2 35 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 22 Apr 2024 · 1 min read करती गहरे वार खंजर सी संवेदना, करती गहरे वार। पगलाया इंसा भला, कैसे उतरे पार। "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 3 61 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 21 Apr 2024 · 1 min read घाव करे गंभीर गहरी सी संवेदना, घाव करे गंभीर। देख असर कौतुक भरा, शरमाए शमशीर । "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · दोहा 80 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 13 Feb 2024 · 1 min read नजराना नजराना जो भी मिले, दिल से करें कबूल। रूठना बेबात पर है, दुर्गेश तेरा फिजूल। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 1 309 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 12 Feb 2024 · 1 min read पाहन भी भगवान भूलों से ही सीखते, भटके से इंसान। भावों से बनते यहां, पाहन भी भगवान। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 192 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 11 Feb 2024 · 1 min read सरोकार खुद की पीड़ा से रहा, सभी को सरोकार। पर पीड़ा करती रही, दूर खड़ी चीत्कार । Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 1 276 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 10 Feb 2024 · 1 min read हुआ दमन से पार बाधाएं आती रहीं, पथ में बारंबार। जोशीला मन जो किया, हुआ दमन से पार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 191 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 9 Feb 2024 · 1 min read ईमान कदम कदम पर बिक रहा, लोगों का ईमान। अंधेर सी नगरी में, मौज करे दीवान। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 227 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 8 Feb 2024 · 1 min read छप्पन भोग सादा जीवन जी रहे, ऊँचे कद के लोग। जमकर खूब उड़ा रहे, भूखे छप्पन भोग। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 207 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 7 Feb 2024 · 1 min read अनोखा दौर बेईमानों का चला, एक अनोखा दौर। उजले कपड़े पहन कर, निकले घर से चोर। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 1 254 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 6 Feb 2024 · 1 min read खुला आसमान उड़ने को सब चाहते, इक खुला आसमान। पगले नीचे देख ले, सूना पड़ा श्मशान। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 76 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 5 Feb 2024 · 1 min read हल आहों में ही कट रहे, अपने प्यारे से पल। वह सौदाई जानता, मेरे व्यथा का हल। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 66 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 4 Feb 2024 · 1 min read मकरंद लिखते हैं सब ही यहां, अपने-अपने छंद। भंवरा ढूँढ़ें पुष्प पर, भांति भांति मकरंद। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 76 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 4 Feb 2024 · 1 min read जनता मुफ्त बदनाम अपनी रोटी सेंकना नेताओं का काम। आका लूटे देश को, जनता मुफ्त बदनाम। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 88 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 3 Feb 2024 · 1 min read बसंत आएगा फिर से वही, खुशियों भरा बसंत। महकेगा सारा चमन, भरमाएगा कंत। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 56 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 2 Feb 2024 · 1 min read मेखला धार चंचल चपला चमक रही, बीच मेघ बन नार। धरा बावरी झूमती, देख मेखला धार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 48 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 1 Feb 2024 · 1 min read जग गाएगा गीत पीर लिए फिरते सभी, अपने उर के भीत। हंसकर जीना सीख लो, जग गाएगा गीत। Poetry Writing Challenge-2 1 50 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 31 Jan 2024 · 1 min read झूठ रहा है जीत लूटेंगे अपने यहाँ, गैर निभाएं प्रीत। मतलब के संसार में, झूठ रहा है जीत। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 82 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 30 Jan 2024 · 1 min read मोल जीवन की गाड़ी चले, बिन डीजल पेट्रोल। श्रमजीवी ही जानता, दो रोटी का मोल। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 47 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 29 Jan 2024 · 1 min read पड़ताल जंगल में अब हो रही, जीव जंतु हड़ताल। काट लिए हैं वन सभी, करें सभी पड़ताल। Poetry Writing Challenge-2 27 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 27 Jan 2024 · 1 min read बदला सा व्यवहार बदली सी फितरत रही, बदला सा व्यवहार। झूठी बातों से फले, उनका कारोबार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 62 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read ठंडक ठंडक भी सौतन हुई, खुल कर करती वार। इक तो कांपे तन घना, दूजा वह उस पार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 75 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read मोल चंदन सी खुशबू रहे, चीनी सा हो घोल। जून पड़े सब मानते, पाहन का भी मोल। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 49 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read दो धारी तलवार दो धारी तलवार से करो नहीं तुम वार। मीठे वचनों से बने सुखी सकल संसार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 62 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read दिल से करो पुकार खामोशी को तोड़कर, दिल से करो पुकार। नंगे पांव दौड़़ कर, आएंगे सरकार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 67 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read कौन सुने फरियाद चमचे मौजी बन गए, कौन सुने फरियाद। आका लूटे देश को, जनता है बरबाद। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 70 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read शीतलहर शीतलहर बढ़ने लगी, जीना हुआ दुश्वार। दिनकर भी दिखते नहीं, हुए सभी लाचार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 82 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read बलबीर तरकश सब खाली हुए, कुंद पड़ी शमशीर। नई चाल चलने लगा, झुका हुआ बलबीर। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 62 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read वार नयनों का धनु साध कर, करते छिप कर वार। बिन बोले ही कर रहे, तीर जिगर के पार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 43 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read कारोबार उसकी बातों से रहा, बस मुझे सरोकार। मतलब से चलता रहा, उसका कारोबार। Poetry Writing Challenge-2 · दोहा 62 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read इम्तिहान इम्तिहान बहुत हैं जिंदगी में, कदम दर कदम। इम्तिहानों से घबराना कायरता है। जन्म से लेकर, काशीवास तक, इम्तिहानों का दौर चलता है। बचपन से लेकर यौवनावस्था तक विद्यालय का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 46 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read कुएं का मेंढ़क कुएं का मेंढ़क, कुएं तक ही सीमित रहता है, उसे बाहरी दुनिया से कोई सरोकार नहीं होता है। अपनी इसी सोच के कारण वह कुएं में ही सारा जीवन गुजार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 70 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read हिम्मत कभी न हारिए सुबह का भूला, दिन में न सही, शाम को भी, घर आ जाए, तो भलमनसाहत है, गुणकथन है। लहरें भी, दूर क्षितिज तक, जाकर, वापस तट तक, लौट आती हैं,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read नशा नशा बुरा है, इससे बचना ही श्रेयस्कर है। सब जानते हैं, नशा विनाश लाता है, घर बरबाद करता है। परंतु नशा कुछ कर गुजरने का हो, तो वह नशा, कायापलट... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 25 Jan 2024 · 1 min read हिंसा हिंसा उद्धवंस की जननी है, प्रलयकारी है। जन हिंसा या युद्ध की विभीषिका रक्त-सरिता बहाती है, बसी-बसाई बस्तियों को मुरदघट्टा बनाती है, खाक-ए-दफन करवाती है। शोणित-होली यातुधान खेलते हैं, इंसान... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 67 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read रणचंडी बन जाओ तुम कूद पड़ो रण में ललना, फिर दानव हुंकारा है। छली गई फिर से वल्लभा, तूने क्यों मौन धारा है। उठा खड़ग, शमशीर थाम, पापी को धूल चटाओ तुम। कृष्ण न... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 85 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read जीवन चक्र पटरी पर दौड़ने वाली लंबी सी रेलगाड़ी, आज माचिस की डिबिया सी सटी पड़ी थी पटरी से परे, तर-पर। कहीं हाथ था, कहीं था पांव, कहीं था धड़ मरहूम पड़ा।... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 75 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read अलमस्त रश्मियां कदंब के किसलय से नीरव-सी झांकती, अभिसारी मंदार की अलमस्त रश्मियां। उसकी कर्णप्रिय पद-मंजीर तृण-तृण में मधुर सरगम छेड़ती हैं। एक अकथ अनुराग की साक्षी बनती हैं। अपने झीने आंचल... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 50 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read मुकद्दर मुकद्दर की तरिणी जब दरिया की लहरों से टकरा कर हिचकोले खाते हुए सरिता के तल में समाने लगती है, दिग्भ्रमित, आशंकित। पुरूषार्थ तब मांझी बन कर जल-प्लावित नियति को... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 66 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read आब-ओ-हवा विषाक्त आब-ओ-हवा, जीवन को करती त्रस्त, दिनचर्या होती पस्त। रूग्णता पांव पसारती, कहर बरपाती, बवाल मचाती। दमघोंटू फ़िज़ा, रोगियों की तादाद बढ़ाती, मौत का फरमान ले आती। मानव जनित कृत्य... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 86 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read उदर क्षुधा अलस्सुबह उठते ही शुरू हो जाती है, जद्दोजहद, जिंदगी के हर मध्यस्थ से, रणभूमि के रणबांकुरे-सी। उदर क्षुधा उकसाती है, बेबस बनाती है, पिंजरे के दाड़िमप्रिय-सी। निराश्रय मनुज मड़ई से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 83 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read नारी अंशुमाली की प्रदीप्त रश्मि-सी, तुषार की धवल टोप-सी, सुधांशु की सौम्य कौमुदी-सी, सरिता की विशद तरंगिणी-सी, प्रदीप की सुजागर दीपशिखा-सी भोर की सुरभित मारुत-सी, नारी। गृहस्थ, खेतिहर, कामकाजी, उद्यमी, संयमी,... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 54 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read उछाह उछाह सफलता के नए सोपान गढता है, शिराओं में तप्त रक्त का उफान भरता है। माउंटेन मैन दशरथ मांझी, जंगल का विश्वकोश तुलसी गौड़ा, सीड मदर राहीबाई सोमा पोपेरे, अक्षर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 58 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read उपहास उपहास करना नितांत सहज है, किसी की भावनाओं को आहत करने और मानसी आघात के लिए। कटाक्ष, क्षणिक तुष्टि का द्योतक है, पर लक्षित के लिए काल बाण-सा। कदापि जाने-अनजाने... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 57 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read पीर स्व की पीर अकुलाती है, शीराज़ा जगाती है, गाहे-बगाहे, काशीवास का आकूत करवाती है, शर-शय्या निश्चेष्ट भीष्म सी। पर पीर गाफ़िल बनाती है, स्वकीय से परे ले जाती है, चढ़ाती... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 72 Share विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’ 24 Jan 2024 · 1 min read स्मृतियाँ स्मृतियाँ अतीत का चलचित्र बन मानसपट पर उभरती हैं, कौंधती हैं दामिनी सी। कभी सुभग, कभी मर्मघाती, तानाबाना बुनता है उथला सिंधु सा अनुस्मरण। मनुज प्लवक बन जलचर-सा परिपल्व करता... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 63 Share Page 1 Next