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विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
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13 Feb 2024 · 1 min read
नजराना
नजराना जो भी मिले,
दिल से करें कबूल।
रूठना बेबात पर है,
दुर्गेश तेरा फिजूल।
Competition:
Poetry Writing Challenge-2
Language:
Hindi
Tag:
दोहा
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