*मरने का हर मन में डर है (हिंदी गजल)*
आपकी बुद्धिमत्ता प्रकृति द्वारा दिया गया सबसे बड़ा इनाम है।
वफ़ाओं की खुशबू मुझ तक यूं पहुंच जाती है,
बन्दे तेरी बन्दगी ,कौन करेगा यार ।
बात उनकी कभी टाली नहीं जाती हमसे
द्रौपदी ने भी रखा था ‘करवा चौथ’ का व्रत
तेरी आंखों में देखा तो पता चला...
नूर ओ रंगत कुर्बान शक्ल की,
24/249. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
लक्ष्य को सदैव सामने रखों, सफलता का यही रहस्य हैं । अपनी समस
परेड में पीछे मुड़ बोलते ही,
हर एक मन्जर पे नजर रखते है..
जीवन के सारे सुख से मैं वंचित हूँ,
झोटा नही हैं उनका दीदार क्या करें
यात्राओं से अर्जित अनुभव ही एक लेखक की कलम की शब्द शक्ति , व
मेरी दोस्ती के लायक कोई यार नही