इसीलिए मैं तुमसे प्यार नहीं करता
तू भूल जायेगी मुझको और मेरा प्यार,
मुझसे तू प्यार सीखकर,
और बहक जायेगी इस हवा में,
तू इस कदर सच में,
कि उस प्यार के हवा के तुफां में,
मैं तुमको नजर नहीं आऊंगा,
इसीलिए मैं तुमसे प्यार नहीं करता।
क्योंकि लोग प्यार में लुटा देते हैं,
वह सब कुछ,
जिसकी जरूरत होती है जिंदगी में,
जो देती है जिंदगी आदमी को,
और तु मुझसे प्यार सीखकर,
लूट लेगी मेरा चैन- शौहरत,
इसीलिए मैं तुमसे प्यार करता।
क्योंकि तू आबाद होना चाहती है,
अपनी जिंदगी में,
और मैं बर्बाद नहीं होना चाहता हूँ ,
तुमसे दिल्लगी में,
तुम्हारी तरह मैं भी चाहता हूँ ,
आबाद होकर जीना जिंदगी में,
इसीलिए मैं तुमसे प्यार नहीं करता।
तेरा ख्वाब है महलों में रहने का,
लेकिन मुझको भी तो,
अपना घर बनाना है,
लेकिन तू भूल जायेगी,
मुझको इज्जत से बुलाना,
प्यार में धनवान होकर,
इसीलिए मैं तुमसे प्यार नहीं करता।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)