Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 May 2024 · 1 min read

दिल जीतने की कोशिश

दिल जीतने की कोशिश में, हम हारते गये
अरमां दिल के हम, दिल में ही मारते गये

इतनी शिद्दत से वफ़ा निभाने की कसमें खाईं
उसकी परछाई तक, चूम कर निहारते गये।

हर ख्वाहिश,हर ख्वाब में,बस वो ही बसा था
बेबस इतनी इश्क़ की, दिलोजान वारते गये।

वो चाह सकता था तो,निभा भी सकता था
कर गया बेवफाई , फिर भी उसे पुकारते गये।

बहुत मुश्किल है किसी पर मर के खुद जीना
उसके बाद रोज़ हम अपनी लाश संवारते
गये।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
164 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Surinder blackpen
View all

You may also like these posts

Ramal musaddas saalim
Ramal musaddas saalim
sushil yadav
+जागृत देवी+
+जागृत देवी+
Ankit Halke jha
आजाद पंछी
आजाद पंछी
Ritu Asooja
समय परिवर्तनशील है
समय परिवर्तनशील है
Mahender Singh
3294.*पूर्णिका*
3294.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
नमामि राम की नगरी, नमामि राम की महिमा।
डॉ.सीमा अग्रवाल
कइसन रोग कोरोना बा...
कइसन रोग कोरोना बा...
आकाश महेशपुरी
सावन
सावन
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
*चलती रहती ट्रेन है, चढ़ते रहते लोग (कुंडलिया)*
*चलती रहती ट्रेन है, चढ़ते रहते लोग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
हर गम छुपा लेते है।
हर गम छुपा लेते है।
Taj Mohammad
मेरे हमराज
मेरे हमराज
ललकार भारद्वाज
ना जाने क्यों...?
ना जाने क्यों...?
भवेश
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं
Dr Archana Gupta
सत्याधार का अवसान
सत्याधार का अवसान
Shyam Sundar Subramanian
फिल्मी गानों से छंद
फिल्मी गानों से छंद
आचार्य ओम नीरव
धीरे-धीरे ढह गए,
धीरे-धीरे ढह गए,
sushil sarna
ज़माना
ज़माना
अखिलेश 'अखिल'
बचपन
बचपन
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
तुम्हारा आना
तुम्हारा आना
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
गर्मी की लहरें
गर्मी की लहरें
AJAY AMITABH SUMAN
सुनो...
सुनो...
हिमांशु Kulshrestha
शीर्षक - हमारी सोच.... कुदरत
शीर्षक - हमारी सोच.... कुदरत
Neeraj Kumar Agarwal
मातृदिवस
मातृदिवस
Satish Srijan
ख्याल
ख्याल
sheema anmol
वो दिन भी क्या दिन थे
वो दिन भी क्या दिन थे
डॉ. एकान्त नेगी
राष्ट्र निर्माण को जीवन का उद्देश्य बनाया था
राष्ट्र निर्माण को जीवन का उद्देश्य बनाया था
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
■ध्यान रखना■
■ध्यान रखना■
*प्रणय प्रभात*
कोई भी मेरे दर्द का जायज़ा न ले सका ,
कोई भी मेरे दर्द का जायज़ा न ले सका ,
Dr fauzia Naseem shad
मुकाम
मुकाम
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"आरजू "
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...