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17 Feb 2024 · 1 min read

मुक्तक

प्रथम् अरूणोदय अर्घ्य से अंबर जहाँ प्रफुल्लित होता है,

नमन हे ! भारत भूमि तेरा सौंदर्य देख देव हर्षित होता है,

नित नूतन अवतरण ले ईश्वर मेरे देश में रमण करते हैं-

प्यारे वतन तेरी पनाह में ये जीवन सुफलित होता है।

संतोष सोनी “तोषी”
जोधपुर (राज.)

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