बुन्देली दोहा प्रतियोगिता -205 (अकतां) के श्रेष्ठ दोहे

205 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता -205
प्रदत्त विषय -“अकताँ” (पहले से)
दिनांक -1-3-2025
संयोजक- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
आयोजक-जय बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्रदत्त विषय:- अकता
1
उपनयँ चलकें भक्त सब,धाम ओरछा जात।
दरसन राजा राम के, सबसें अकता पात।।
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-अंजनी कुमार चतुर्वेदी,निवाड़ी
2
अकता से आंके अजा, है नातिन को ब्याव ।
अगर फसल उपजे न अच्छी , की खों कर हैं साव ।।
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– हरवल सिंह लोधी, टीकमगढ़
3
अकता सें संस्कार की,पावन पोध लगाव।
सत्य निष्ठ बालक बनें,मैंनत कौ फल पाव।।
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-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
4
अकताँ सेँ सुसरार मेँ , जैसइँ पौँचेँ राम ।
निरखत ठाँड़ीँ नारियाँ , छोड़ छाड़ सब काम ।।
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-प्रमोद मिश्रा,वल्देवगढ़
5
अकता अच्छी होत है, खेती उर संतान।
अकता मारै जाय टर, जीतत बो इंसान।।
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-अमर सिंह राय, नौगांव
6
फूलबाग जब गइँ सिया,अकताँ बन गव काम ।
तकैं झाड़ की ओट सैं,हिये बिठा लय राम ।।
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-शोभारामदाँगी “इन्दु”नंदनवारा
7
कीनें कइती आइयौ ,अकता सें तुम आज।
आनें तौ आराम सें , निपटा घर कौ काज।।
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– वीरेन्द्र चंसौरिया,टीकमगढ़
8
मैंने चन्दा दै दओ, अकतां अबकूं यार।
तासे कौनउं आंयना, मांगन हर-हरदार।।
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-एम.एल.अहिरवार ‘त्यागी’, खरगापुर
9
अकता गुरु बंदन करौ,पाछू हरि को ध्यान।
गुरू कराउत हैं हमै, ईसुर की पैचान।।
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-तरुणा खरे’तनु’, जबलपुर
10
अकतां सेन कै दयी भले,सो अपनों आभार।
ऐसे ही बनायें रखौ, सब कवियन कौन प्यार।।
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-श्रीराम नामदेव ‘काका ललितपुरी’
11
अकता सुमरों सारदा, संगें नमन गनेश।
रचकें दोहा मंच पे, करों सबन खाँ पेश।।
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-श्यामराव धर्मपुरीकर,गंजबासौदा
12
गुरुकुल विद्या सीखनें, जाते थे हनुमान।
इक दिन अकता पोंच के,की तुलसी पहचान।।
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-रामानन्द पाठक, नैगुवां
13
होंनहार मडराय जब,चलै न कौंनउँ दाव।
अकता सें कर लेत हैं,जनबा कछू उपाव।।
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– डॉ.देवदत्त द्विवेदी,बड़ामलहरा
14
अकता कैं ना बोलियौ,पैलाँ सुनियौ बात।
बूड़े बुुजरक देखियौ,बे सब कैसो कात।।
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-सुभाष सिंघई, जतारा
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संयोजक -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
टीकमगढ़ मप्र