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25 Jan 2024 · 1 min read

कुएं का मेंढ़क

कुएं का मेंढ़क,
कुएं तक ही
सीमित रहता है,
उसे बाहरी दुनिया से
कोई सरोकार नहीं होता है।
अपनी इसी सोच के कारण
वह कुएं में ही
सारा जीवन गुजार देता है,
वहीं प्राण त्याग देता है।
जीवन में बेहतरी के लिए
कुएं का मेंढ़क मत बनो,
अपनी सोच को विस्तार दो,
तर्कशील बनो,
गहन चिंतक बनो,
रूढिवादिता के चक्रव्यूह से
बाहर निकलो,
अभिमन्यु-सा सोचो,
दशरथ मांझी सा प्रण लो।
सफलता कदम चूमेगी,
जग में ख्याति मिलेगी।
बस एक बार,
लीक से हटकर,
कुछ कीजिए………….।

Language: Hindi
224 Views
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