फागुन के फाग ह

फागुन के फाग ह
गाँव गावय ददरिया, खार बन गेहे रागी।
फागुन के फाग ह, लगावत हे आगी।।
धधकत हे गली, अँगना अऊ खोर।
पीहा बिन तरसय, पपीहरा मन मोर ।।
बिरहा म बैस बइरी,मेचका अस कूदत हे।
देखे बर नैना ह, ढेंकी अस कूटत हे ।।
फागुन के फाग ह
गाँव गावय ददरिया, खार बन गेहे रागी।
फागुन के फाग ह, लगावत हे आगी।।
धधकत हे गली, अँगना अऊ खोर।
पीहा बिन तरसय, पपीहरा मन मोर ।।
बिरहा म बैस बइरी,मेचका अस कूदत हे।
देखे बर नैना ह, ढेंकी अस कूटत हे ।।