चरित्र
मुझको जितना दबाया उतना मैं उभरा हूं !
बुरा ना पहले था, ना अब हूं, और ना रहूंगा !
फिर कैसे सोच लिया तुमने ? मैं सुधरा हूं !!
• विशाल शुक्ल
मुझको जितना दबाया उतना मैं उभरा हूं !
बुरा ना पहले था, ना अब हूं, और ना रहूंगा !
फिर कैसे सोच लिया तुमने ? मैं सुधरा हूं !!
• विशाल शुक्ल