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29 Dec 2024 · 1 min read

*बदला तो सिर्फ कलेंडर है(हिंदी गजल)*

बदला तो सिर्फ कलेंडर है(हिंदी गजल)
________________________
1)
जैसा था वैसा ही घर है
बदला तो सिर्फ कलेंडर है
2)
नए साल पर दारू पीना
यह प्रथा न किंचित हितकर है
3)
याद किसे अब पूस-माघ है
केवल जनवरी-दिसम्बर है
4)
त्यौहारों की गणना को बस
अपना विक्रम सम्वत भर है
5)
आजादी भादों में मिलती
तो बतलाते देश किधर है
6)
जिसका राज कलेंडर उस‌का
रीति रही यह डगर- डगर है
7)
लोग परायों में उलझे हैं
अपनों की अब किसे खबर है
————————————
रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उ.प्र.)
मो. 9997615451

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