Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
14 Followers
Follow
Report this post
8 Feb 2024 · 1 min read
छप्पन भोग
सादा जीवन जी रहे,
ऊँचे कद के लोग।
जमकर खूब उड़ा रहे,
भूखे छप्पन भोग।
Competition:
Poetry Writing Challenge-2
Language:
Hindi
Tag:
दोहा
Like
Share
286 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
You may also like these posts
गरीबों की जिंदगी
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
आगे का सफर
Shashi Mahajan
तू सोचती होगी कि------------
gurudeenverma198
मुहब्बत करने वालों
shabina. Naaz
बुरा मानेंगे----
Shally Vij
अग्नि परीक्षा सहने की एक सीमा थी
Shweta Soni
अंतर्मन में खामोशी है
दीपक झा रुद्रा
संगदिल
Aman Sinha
क्या करे जनाब वक़्त ही नहीं मिला
MEENU SHARMA
দিনের পরে দিন গুনে হয়ে যায়
goutam shaw
हास्य कुंडलिया
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
"आंखरी ख़त"
Lohit Tamta
बहे संवेदन रुप बयार🙏
तारकेश्वर प्रसाद तरुण
दुख में दुश्मन सहानुभूति जताने अथवा दोस्त होने का स्वांग भी
Dr MusafiR BaithA
अरज लेकर आई हूं दर पर बताने ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
शांति चाहिये...? पर वो "READY MADE" नहीं मिलती "बनानी" पड़ती
पूर्वार्थ
फूलन देवी
Shekhar Chandra Mitra
- तुम्हारे मेरे प्रेम की पंक्तियां -
bharat gehlot
विषय-मन मेरा बावरा।
Priya princess panwar
My love and life
Neeraj kumar Soni
"चाटुकारिता में दिन गुज़रे, सुखद स्वप्न में बीते रात।
*प्रणय*
जीवन : एक अद्वितीय यात्रा
Mukta Rashmi
*बेहतर समाज*
Kavita Chouhan
*** हम दो राही....!!! ***
VEDANTA PATEL
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सबके लिए मददगार बनें परंतु मददगार बनकर किसी को भी नुकसान न प
गौ नंदिनी डॉ विमला महरिया मौज
4475.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है
Saraswati Bajpai
राजा रंक फकीर
Harminder Kaur
शिव छन्द
Neelam Sharma
Loading...