Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
14 Followers
Follow
Report this post
1 Feb 2024 · 1 min read
जग गाएगा गीत
पीर लिए फिरते सभी,
अपने उर के भीत।
हंसकर जीना सीख लो,
जग गाएगा गीत।
Competition:
Poetry Writing Challenge-2
Language:
Hindi
Like
Share
1 Like
· 95 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
You may also like these posts
शीर्षक -मातृभाषा हिंदी
Sushma Singh
बाप की गरीब हर लड़की झेल लेती है लेकिन
शेखर सिंह
लहर
Juhi Grover
जीने का हक़!
कविता झा ‘गीत’
Acrostic Poem
jayanth kaweeshwar
बाल एवं हास्य कविता: मुर्गा टीवी लाया है।
Rajesh Kumar Arjun
एक बेवफा का प्यार है आज भी दिल में मेरे
VINOD CHAUHAN
मेरा लोकतंत्र महान -समसामयिक लेख
Dr Mukesh 'Aseemit'
"हम सभी यहाँ दबाव में जी रहे हैं ll
पूर्वार्थ
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
तुझको पाकर ,पाना चाहती हुं मैं
Ankita Patel
चलेंगे साथ जब मिलके, नयी दुनियाँ बसा लेंगे !
DrLakshman Jha Parimal
"Death"
राकेश चौरसिया
खोजते फिरते हो पूजा स्थलों में
Dhirendra Singh
कभी मोहब्बत के लिए मरता नहीं था
Rituraj shivem verma
■ आज का चिंतन
*प्रणय*
The Natural Thoughts
Buddha Prakash
..........अकेला ही.......
Naushaba Suriya
The Sky...
Divakriti
ग़ज़ल _ असुरों के आतंक थे ज़्यादा, कृष्णा ने अवतार लिया ,
Neelofar Khan
क्युँ हरबार ये होता है ,
Manisha Wandhare
संवेदना(सहानुभूति)
Dr. Vaishali Verma
तुम वह सितारा थे!
Harminder Kaur
जब ज्ञान स्वयं संपूर्णता से परिपूर्ण हो गया तो बुद्ध बन गये।
manjula chauhan
*खड़ा द्वार पर प्यार*
Rambali Mishra
नौकरी (१)
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Ignorance is the shield
Chitra Bisht
तुम्हारा साथ
Saraswati Bajpai
सरफिरे ख़्वाब
Shally Vij
जीवन की परिभाषा क्या ?
Dr fauzia Naseem shad
Loading...