ज्ञान, चरित्र, संस्कार का धाम – सरस्वती शिशु मंदिर

यहाँ ज्ञान की ज्योति जलती,
चरित्र की नींव यहाँ है पलती।
संस्कारों की बहती अविरल धारा,
वह पावन मंदिर, प्यारा-प्यारा।
सरस्वती का है यह मंदिर,
विद्या का अनुपम सुंदर घर।
छोटे-छोटे बच्चे आते हैं,
ज्ञान की कलियाँ खिलाते हैं।
अक्षर ज्ञान की पहली माला,
पहनाते आचार्य स्नेह निराला।
गणित, विज्ञान, कला का संगम,
हर विषय में बढ़ता है दमखम।
केवल पुस्तक का ज्ञान नहीं,
जीवन मूल्यों की है थाती सही।
सत्य, अहिंसा, प्रेम का पाठ,
सिखलाते गुरुवर हैं साक्षात।
अनुशासन की राह दिखाते,
कर्तव्य पथ पर चलना सिखाते।
बड़ों का आदर करना जानो,
छोटों को स्नेहिल पहचानो।
अपनी संस्कृति का गौरव गान,
भारत माँ का करते सम्मान।
त्योहारों का महत्व बताते,
परंपराओं से हमें मिलाते।
मिलजुल कर रहने की शिक्षा,
एकता का देते हैं दीक्षा।
देश प्रेम की भावना भरते,
श्रेष्ठ नागरिकता का पथ करते।
शारीरिक, मानसिक विकास यहाँ,
खेलकूद का भी है यहाँ समां।
सर्वांगीण उन्नति का यह धाम,
सरस्वती शिशु मंदिर है नाम।
जहाँ भविष्य की नींव है बनती,
सरस्वती शिशु मंदिर की महिमा अद्भुत।
ज्ञान, चरित्र, संस्कारो का पावन संगम,
आलोक हमसब मिलकर करें सरस्वती
शिशु मंदिर का वंदन।
कवि
आलोक पांडेय
गरोठ, मंदसौर, मध्यप्रदेश।