सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 95 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 18 Mar 2025 · 1 min read नीर के तीर पर पीर को देखें अखियां... नीर के तीर पर पीर को देखें अखियां पीर में तीर पर नीर बहाएं अखियां नीर में तीर पर छब जब दिख आई तो छब देख- देख रोई अखियां रोई... Hindi · Indian Poem · Indian Poetry · Indian आर्मी · कविता · संस्मरण 49 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Mar 2025 · 1 min read सफरनामा.... सफरनामा कुछ यूं रहा कभी मैं सफर में कभी सफर मुझ में रहा हर मोड़ पर मिला कोई मुसाफिर मुझे हर मोड़ पर कोई ना कोई छूटता रहा सुनहरी यादों... Hindi · कविता · संस्मरण 26 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 3 Feb 2025 · 1 min read एक लड़की है एक लड़की जो मुझे अपना दोस्त कहती हैं मेरी उलझनों को दूर वो पल भर में कर देती है मुझ से छोटी है पर बातें उसकी बड़ी- बड़ी हैं... Hindi · कविता · दोस्ती 1 73 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2025 · 1 min read वो बन के हवा गुजरते है रूबरू हो कर वो बन के हवा गुजरते है रूबरू हो कर कहे दिल ठहरे वो पल दो पल ही रूबरू हो कर देखे मुस्कुरा के ओर कुछ ना कहे रूबरू हो कर... Quote Writer 1 49 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 19 Dec 2024 · 1 min read मुक्त कर दो अब तो यार मुक्त कर दो अब तो यार कभी- कभी बह जाने दिया करो खुद को हवाओं के साथ मौसमों के साथ कभी- कभी थाम लिया करो खुद से टिमटिमाते हुए तारों... Quote Writer 1 103 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Nov 2024 · 1 min read मन काशी में रम जाएगा जब काशी तन ये जाएगा मन काशी में रम जाएगा जब काशी तन ये जाएगा रोम रोम खिल जाएगा जब गंगा में गोते लगाएगा मणिकर्णिका घाट पर जीवन का अर्थ पाएगा हरिश्चंद्र के घाट पर... Hindi · कविता · संस्मरण 107 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 26 Sep 2024 · 1 min read दरमियान कुछ नहीं दरमियान कुछ नहीं पर हमारे एक कहानी तो है जो रह गई अधुरी एक कहानी तो है राह में भटक रहा था मैं मिली तुम तो थोड़ा ठहरा तो मैं... Hindi · कविता 1 191 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Sep 2024 · 1 min read जब भी लिखता था कमाल लिखता था जब भी लिखता था कमाल लिखता था सवालों के वो जबाब लिखता था अनछुए अनकहे भाव जीवन्त हो उठते थे जब वो कागज पर कलम रखता था Hindi · कविता 1 125 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Aug 2024 · 1 min read एक मौन घर घर में होती है अक्सर चार दीवारी एक छत छत पर लगा पंखा ओर दीवार पर लगा होता एक रोशनदान और आइना उस आइने जब भी मैं अपने आप... Hindi · कविता · संस्मरण 2 237 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 17 Jun 2024 · 1 min read आत्म मंथन जब कभी खुद से हारने लगो तो किसी नदी के तट चले जाना जब रास्ता - ऐ मंजिल दिखाई ना दे तो किसी नदी के तट चले जाना कैसे लहरें... Hindi · Motivational Poems 2 198 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 16 Jun 2024 · 1 min read गवाही देंगे मुझे जब कभी ढूंढिएगा किसी पर्वत पर या नदी के मुहाने पर ढूंढिएगा हवाओं की गर्मजोशी में ढूंढिएगा झरनों की झनकार में ढूंढिएगा खिलते हुए फूल की खुशबू में ढूंढिएगा... Hindi · कविता · गीत 2 259 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 16 Jun 2024 · 1 min read अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे अधूरे रह गये जो स्वप्न वो पूरे करेंगे हम हासिए से ही फिर सब हासिल करेंगे खूद को पेड़ बनते हुए हम ने है देखा मौसमों का हर एक रंग... Quote Writer 2 170 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Apr 2024 · 1 min read कौन्तय रण के उस क्षण में कौन्तय शिथिल हो जाते हैं जब सम्मुख अपने वो अपनों को पाते हैं अन्तर्मन में ज्वालामुखी सा उठता है जाने क्या क्या अक्षि में छा... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 2 219 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read जीवन मर्म नीर के तीर पर खड़े हो कर देखो नीर को तीर पर आते हुए फिर स्वयं से कुछ सवाल करो कौतूहल को अन्दर के तुम शान्त करो जैसे आती लहर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 280 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए मुझ को किसी एक विषय में मत बांधिए हुं मैं एक कवि बस इतना सा ही जानिए मैं लिखुंगा किसी के अन्तर्मन की वेदना मैं लिखुंगा किसी के मौन की... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 203 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read कुछ लोग शहर के बीचों बीच तंग गलियारों में रहते हैं कुछ लोग दिखने में लोगों जैसे पर लोगों से परे है कुछ लोग सिटी में सटी सटी सी बस्तियों में रहते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 210 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read मृत्यु शैय्या मृत्यु शैय्या पर जब आ जाओगे सोचो क्या क्या जी जाओगे चार उम्रो के लेखे होंगे शैय्या पर भी अकेले होंगे जीवन क्षण में क्षरण मृत्यु का वरण होगा सांसों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · जीवन दर्शन 208 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Feb 2024 · 1 min read लोग जाने किधर गये अवशेष शेष बचे यादों के लोग जाने किधर गये जो थे खास बहुत वो लोग जाने किधर गये अधरों पर है अब मौन लोग जाने किधर गये खुल कर मिलते... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 2 234 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा पंछियों का कलरव सुनाई ना देगा जंगल कटेगा तो कुछ दिखाई नहीं देगा कहां से लाओगे गीत नदियों के जब झरना ही सुनाई ना देगा आधुनिकता की इस दौड़ में... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 296 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 12 Feb 2024 · 1 min read अजी क्षमा हम तो अत्याधुनिक हो गये है आदि काल से आधुनिक काल तक हम आ तो गये चकमक के पत्थर से चल कर मिसाइलों तक आ तो गये जंगल जिसमें बिताया करते थे जीवन उस जंगल का... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 334 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read मैं दौड़ता रहा तमाम उम्र आधुनिकता की दौड़ में जिंदगी को कर के शामिल मैं दौड़ता रहा दौड़ता रहा तमाम उम्र सपनो को पूरा करने जिद पर अड़ा रहा मैं तमाम उम्र घर , परिवार,यार... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 207 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे ये खूबसूरत दृश्य आंखों से ओझल हो जाएंगे जंगल ही ना रहे तो फिर सोचो हम क्या हो जाएंगे आधुनिकता के इस खेल में बस पुर्जे ही रह जाएंगे बारिश... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 242 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 11 Feb 2024 · 1 min read जीवन चक्र घर की जिम्मेदारी की जद में आ गया एक नन्हा कल मुश्किल में आ गया पिता जी को लगी थी लत दारु की उस में पिता का जीवन चला गया... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 273 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें नवंबर की ये ठंडी ठिठरती हुई रातें कैसे गुजारी होगी फुटपाथ के लोगों ने बदन को अन्दर तक जमा देने वाली इन रातों में कैसे जीवित रहता होगा फुटपाथ पर... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 204 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए खूद से एक मुक्कमल मुलाकात कीजिए राहें ज़िन्दगी में नजारे है बहुत नज़रें उठाईं कुछ गुनगुनाइए सुशील मिश्रा ( क्षितिज राज) Poetry Writing Challenge-2 · कविता 155 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read सर्द हवाओं का मौसम थोड़ी सर्द हवाओं में एक राह पर हम जाते हैं फिर एक मोड़ पर थोड़ा ठहर हम जाते हैं तकते हैं कुछ देर को अम्बर को फिर तारों संग बतियाते... Poetry Writing Challenge-2 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 193 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read आवाजें चीखती हुई आवाजें है कहीं और कहीं घुटती हुई आवाजें है कहीं मौन है आवाजें तो कहीं शोर है आवाजें समाज की ही है और समाज के बीच ही है... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 249 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 4 Feb 2024 · 1 min read नौका को सिन्धु में उतारो नौका को सिन्धु में उतारो किनारों से दूर करो जानना है यदि खुद को तो खुद के निर्णय पर विश्वास करो तुम ऊर्जा के पूंज हो तुम ही आभा सूर्य... Poetry Writing Challenge-2 · Motivation · कविता 201 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 3 Feb 2024 · 1 min read अन्तर्मन की विषम वेदना तुम घर आ ना पाओगे जब कदम तुम्हारे बढ़ेंगे मंजिल को पाने को सपने को सच कर जाने को तुम घर आ ना पाओगे जब जिम्मेदारी का बोझ उठाओगे जब... Poetry Writing Challenge-2 · लघु कथा 280 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 2 Feb 2024 · 1 min read चिरैया पूछेंगी एक दिन चिरैया पूछेंगी एक दिन मेरा छज्जा किधर गया तिनके तिनके से जोड़ा था वो छज्जा किधर गया धूप में तप तप कर मैं लायी थी तिनका बड़ी ही मेहनत से... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · संस्मरण 275 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read झील किनारे पलो से किये है तैयार लम्हे तुम्हारे लिए एक दिन आना तुम ख्वाब में हमारे लिए तुम को अपनी प्यारी दुनिया में ले जाएंगे कुछ नगमे जो लिखे हैं झील... Poetry Writing Challenge-2 · Poem 197 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read है कौन वहां शिखर पर है कौन वहां शिखर पर जो दे रहा आवाज है तुम में है कुछ बात वो ही वहां से बतला रहा है जानो खुद को पहचानो खुद को कह रहा... Poetry Writing Challenge-2 · Life · कविता 256 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read किसी नदी के मुहाने पर किसी नदी के मुहाने पर जाना जब सब कुछ हाथ से छूट रहा हो कुछ भी समझ ना आ रहा हो समय का बन्द फिसलता जा रहा हो तब किसी... Poetry Writing Challenge-2 · Love · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 199 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read हे कौन वहां अन्तश्चेतना में हे कौन वहां अन्तश्चेतना में जो मौन हो कर देखता जिसने देखा तुम्हारा बाल्यपन ओर युवा अवस्था तुम्हारे विचलन और मौन को देखता हे कौन वहां अन्तश्चेतना में जो मौन... Poetry Writing Challenge-2 · कविता · ग़ज़ल/गीतिका 1 202 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 30 Jan 2024 · 1 min read हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें शोर करेगी हवाऐं पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे नदियां सागर से मिलेगी मिलन के गीत गाए जाएगे ओर हमको एक दिन भुला... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 239 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2024 · 1 min read गीत मौसम का मधुर गुंजन करता आया मौसम रिमझिम बरसती बूंदें लाया मौसम मस्त पवन के झोंके तन मन को आनंदित कर जाते हैं ऐसे मौसम में ही तो नव सृजन के गीत... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 201 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 27 Jan 2024 · 1 min read मैं तुम्हें लिखता रहूंगा क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं मैं तुम्हें लिखता रहूंगा गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में , भाव की अभिव्यक्तियों में , सृजन की नव सृष्टियों में , उपवनों... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 223 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 22 Jan 2024 · 1 min read मैं अपने अधरों को मौन करूं मैं अपने अधरों को मौन करूं तुम मेरे नैनों से बात करो छोड़ो शब्दों का ये ताना बाना तुम नैनो से नैनो की बात करो एहसासों के सागर में से... Poetry Writing Challenge-2 · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 1 164 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Jan 2024 · 1 min read राम के नाम को यूं ही सुरमन करें राम के नाम को यूं ही सुरमन करें आओ आओ हम ये वंदन करें तन में जब तक रहे सांसों की बत्तियां मुख से निकले सदा राम की वंदना जय... Quote Writer 1 271 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 14 Jan 2024 · 1 min read जीवन उत्साह 36 की उम्र तक आते-आते 36 सौ जगह घुमा 36 सौ प्यार मिला 36 सौ से 36 के आंकड़े रहे 36सौ उतार चढ़ाव आए 36 सौ अवसर आए 36 सौ... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 1 274 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 6 Jan 2024 · 1 min read मैं तुम्हें लिखता रहूंगा क्षितिज हूं पर क्षिति पर हूं मैं तुम्हें लिखता रहूंगा गढ़ता रहूंगा शब्दों के मौन अभिविन्यास में , भाव की अभिव्यक्तियों में , सृजन की नव सृष्टियों में , उपवनों... Hindi · कविता · गीतिका 1 330 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 23 Dec 2023 · 1 min read बुढ़िया काकी बन गई है स्टार साल में एक बार आती है उस बुढ़िया के चेहरे पर मुस्कान जब बड़े बड़े लाउडस्पीकर से होने लगते हैं प्रचार होने लगते हैं भाषण और सुनाई देने लगती है... Hindi · कविता · व्यंग्य कविता 1 302 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 15 Dec 2023 · 1 min read आवाजें चीखती हुई आवाजें है कहीं और कहीं घुटती हुई आवाजें है कहीं मौन है आवाजें तो कहीं शोर है आवाजें समाज की ही है और समाज के बीच ही है... Hindi · वायरल कविता की प्रतिक्रिया · संस्मरण 1 2 263 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 25 Nov 2023 · 1 min read सर्द हवाएं थोड़ी सर्द हवाओं में एक राह पर हम जाते हैं फिर एक मोड़ पर थोड़ा ठहर हम जाते हैं तकते हैं कुछ देर को अम्बर को फिर तारों संग बतियाते... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · मन का मौसम · सर्द रात · हिन्दी काव्य 2 298 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Nov 2023 · 1 min read फुटपाथ की ठंड नवंबर की ये ठंडी ठुठरती हुई रातें कैसे गुजारी होगी फुटपाथ के लोगों ने बदन को अन्दर तक जमा देने वाली इन रातों में कैसे जीवित रहता होगा फुटपाथ पर... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) 1 302 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 8 Nov 2023 · 1 min read जीवन के बसंत खींचतान कर जैसे तैसे ले आया हूं मैं जीवन के बसंत जी आया हूं सबसे मधुर थे बचपन के बसंत बिना चिन्ता के ओर किए बिना जतन पा मैं सब... Hindi 3 438 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 7 Nov 2023 · 1 min read मौन अधर होंगे तुम से मिलना जब हमारा होगा देखना बड़ा दायरा होगा बीते सालों के एक एक दिन का आंखों के सामने आना होगा कैसे कटे ओर कैसे जीएं तुम्हारे बिन आंखों... Hindi · Quote Writer 2 312 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 26 Sep 2023 · 1 min read खुद से मिल हमारे बाद भी चलती रहेगी बहारें शोर करेगी हवाऐं पंछी भी क्षितिज की ओर उड़ानें भरेंगे नदियां सागर से मिलेगी मिलन के गीत गाए जाएगे ओर हमको एक दिन भुला... Hindi · कविता · संस्मरण 3 288 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 21 Sep 2023 · 1 min read सुकुमारी जो है जनकदुलारी है सुकुमारी जो है जनकदुलारी है विधि के लेख को सहज स्वीकारी है वन वन घूमी और मुख से ना वो बोली कभी वहीं अयोध्या की महारानी है कैसी ये विधि... Hindi · Hindi Poem ( हिन्दी कविता ) · Kavita Kosh · Quote Writer · अखंड भारत · भारतीय संस्कृति 2 584 Share सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज ' 29 Aug 2023 · 1 min read तुम्ही बताओ आज सभासद है ये प्रशन महान तुम्ही बताओ आज सभासद है ये प्रशन महान हिन्द का कैसे हो उत्थान ये भारत वहीं हमारा जन्हा वहती दुध दही की धारा इस मात्रभूमि में जन्मे थे राम श्याम... Quote Writer 2 541 Share Page 1 Next