Umesh Kumar Sharma Tag: कविता 65 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Umesh Kumar Sharma 13 Jan 2024 · 1 min read मेरा सुकून कभी फुरसत में निकालता हूँ फिर रख देता हूँ सहेज कर वो गलियाँ, वो दरख्त और मिट्टी की खुशबू बेपरवाह बचपन ओढ़े हुए है, खपरैलों की छत, पेड़ों की झुरमुट... Hindi · कविता 246 Share Umesh Kumar Sharma 6 Oct 2022 · 1 min read गाँव से लौट कर शायद कुछ ही लोग अब वहाँ पहचानते हों मुझे, इतना अरसा भी तो बीच से गुजरा है। वो पुराने वक़्त के बुजुर्ग जो नसीहत व दुआएँ देते थे, वो तो... Hindi · कविता 3 2 269 Share Umesh Kumar Sharma 3 Jul 2022 · 1 min read भरोसा आखिर आ ही गयी ये सोच भी सरहदें फलांग कर कि सर तन से जुदा!! माना कि, मुट्ठी भर लोग ही होंगे इस तरह के अभी, चलो ये भी माना... Hindi · कविता 223 Share Umesh Kumar Sharma 25 Jun 2022 · 1 min read अर्धांगिनी की विरह व्यथा सुनो, आज बाथरूम की लाइट किसी ने जली हुई नहीं रख छोड़ी हैl न उसके दरवाजे की नॉब पर किसी ने गीले हाथों की छाप छोड़ी है। तुम्हारा तौलिया भी... Hindi · कविता 9 16 513 Share Umesh Kumar Sharma 18 Jun 2022 · 1 min read अग्निपथ पहले मुद्दों पर होते होंगे प्रदर्शन, लोकतांत्रिक हक था जरूरी भी रहा हो शायद, पर कहीं न कहीं, एक मर्यादा, एक लक्ष्मण रेखा भी जरूर थी, आज विरोध को, मुद्दे... Hindi · कविता 2 310 Share Umesh Kumar Sharma 5 Jun 2022 · 1 min read मेरे कच्चे मकान की खपरैल कभी इन्हीं खपरैलों की छतों से बना मेरा एक घर हुआ करता था, बाँस की लकड़ियों ने बाँध रखा था कच्ची दीवारों के सरों को, उन पर कतारबद्ध बैठी ये... Hindi · कविता 6 6 752 Share Umesh Kumar Sharma 31 May 2022 · 1 min read पिता वो जो कुछ बातें मैं कहीं आधी अधूरी छोड़ आया था, चाहता था कि तुम उन अधूरी बातों को ठीक उसी तरह करो जो मेरे वक़्त में मुझे करनी थी,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 4 5 453 Share Umesh Kumar Sharma 25 Nov 2021 · 1 min read पतझड़ का प्रेम प्रेम, मुमकिन है कि अब निःशब्द हो चला हो रूमानी बातों से दूर हो, उम्र की तकलीफें व परेशानियाँ रोक देती हैं, झिड़क कर प्रेम अब दिखता है बच्चों को... Hindi · कविता 319 Share Umesh Kumar Sharma 10 Nov 2021 · 1 min read कब तलक यूँही ये रोज की जद्दोजहद खुद से है, खुद की है!! कोई और नहीं शामिल इसमें, तय ये करना है कि जंग में उतरोगे या फिर तमाशबीन ही बने रहना है?... Hindi · कविता 1 409 Share Umesh Kumar Sharma 25 Jun 2021 · 2 min read तुम्हारे अर्धशतक पर सुनो, तुम्हारी इस अर्ध शतकीय पारी में मेेरे साथ की साझेदारी के जो सत्ताईस साल हैं न उसके कुछ पन्ने आज हौले से दस्तक दे बैठे हैं!! तुम्हारे साहसिक कहानियों... Hindi · कविता 1 2 376 Share Umesh Kumar Sharma 28 Nov 2020 · 1 min read पिता वो जो कुछ बातें मैं कहीं आधी अधूरी छोड़ आया था, चाहता था कि तुम उन अधूरी बातों को ठीक उसी तरह करो जो मेरे वक़्त में मुझे करनी थी,... Hindi · कविता 1 4 352 Share Umesh Kumar Sharma 1 Aug 2020 · 1 min read कच्चा रंग उस दिन जब मिले थे, मुस्कुरा कर नजरे ठहरी हाथ भी बढ़े पर सिर्फ"कैसे" कहकर ही, नजरें किसी और को तलाशने लगी, फिर बिना कुछ कहे तुम दूसरी ओर मुड़... Hindi · कविता 3 2 518 Share Umesh Kumar Sharma 31 Jul 2020 · 1 min read पार्क के जोड़े दुनिया से बेखबर एक दूसरे की आंखों मे आंखे डाले हुए भविष्य के सपनो मे खोये कुछ मंझे हुए अपनी आगे की रणनीति विचारते पिछले अनुभवों को खंगालते, कि खुले... Hindi · कविता 6 5 480 Share Umesh Kumar Sharma 28 Jul 2020 · 1 min read धौंस पहले धौंस की अपनी एक सड़क हुआ करती थी, जो विदेशों से निकल कर महानगरों मे पहुँच कर नगरों, शहरों, कस्बों से होती हुई खीझती हुई गांवों के पक्के मकानों... Hindi · कविता 4 7 483 Share Umesh Kumar Sharma 26 Jul 2020 · 1 min read इलाज आशिकी को होश आया जब चारागर ने यूं कहा तुम बेवजह टांग क्यूँ हिलाते हो। तकिया भी पांव पर सुलाते हो। दोस्तों के साथ तुम्हारी ये महफिले क्यूँ सजती है... Hindi · कविता 2 8 554 Share Umesh Kumar Sharma 22 Jul 2020 · 1 min read गहमागहमी घर के एक जिम्मेदार शख्स ने कई दिनों बाद लौटकर अपने घर की दहलीज़ पर पांव रखा था। गला खंखारती ये खबर जैसे ही घर में दाखिल हुईं। आंगन में... Hindi · कविता 8 10 504 Share Umesh Kumar Sharma 17 Jul 2020 · 1 min read पहली नज़र कॉलोनी में एक शाम बॉलकोनी की रेलिंग पर हाथ धरे, तुमने जब नाचीज़ को देखने की जहमत उठाई। मेरी नज़र भी सरसरी तौर पर भूगोल और गणित का अध्ययन करती... Hindi · कविता 4 4 267 Share Umesh Kumar Sharma 16 Jul 2020 · 1 min read कब सुधरोगे? मायके से तुम लौटी एक रोज तो कुछ देर बाद चाय पीकर जब जज्बात थोड़े सहज हुए, तुम्हारी खोजी नज़रों ने अपने क्षेत्र का सरसरी तौर पर जायजा लेना शुरू... Hindi · कविता 6 2 376 Share Umesh Kumar Sharma 15 Jul 2020 · 1 min read सुलह तुम निःशब्द थे मैं भी चुप रहा रीती आंखों ने फिर बातों का सिलसिला शुरू किया। पहले शिकायतें आयीं। रुकी रहीं कुछ देर। शर्मिंदगी लिपटी रही उनसे, तब जाके वो... Hindi · कविता 4 2 398 Share Umesh Kumar Sharma 14 Jul 2020 · 1 min read ख्वाब भीड़ सड़को पर बैठी है मसले तय करने, घरों से जब वो निकली तो कहा गया सिर्फ , जरूरी सामान ही साथ ले कर चलें। इसलिए, अपनी सोच और समझ... Hindi · कविता 5 2 311 Share Umesh Kumar Sharma 14 Jul 2020 · 1 min read इल्म जो बात अनसुनी की थी, तुमने सोचा सुनी ही नही शब्दों को तकते तुम खामोशी कहाँ पढ़ पाते? जवाब दिया तो था "चुप रहकर" तुम्हे ये इल्म भी नही कि... Hindi · कविता 2 281 Share Umesh Kumar Sharma 14 Jul 2020 · 1 min read गणित संख्याओं की उपयोगिता जब समझ मे आने लगी। तो मूल्यों और मुद्दों को पीछे धकेल कर अंकगणित मोर्चे पर आ गयी। अपने और दूसरे के जोड़ घटाव से निकली ये... Hindi · कविता 7 4 296 Share Umesh Kumar Sharma 13 Jul 2020 · 1 min read उहाफोह गाँव की एक सोच जब पहली बार घर से बाहर निकली तो उसकी मुलाकात, शहर मे खड़ी कई सोचो से हुई। कुछ से उसने दोस्ती करली कुछ से बस तालमेल... Hindi · कविता 5 10 558 Share Umesh Kumar Sharma 13 Jul 2020 · 1 min read प्रश्नोत्तरी तुम्हारे साथ ढाई दशकों से ज्यादा का सफर यूँ तो अच्छा गुज़रा है बस तुम्हारी आकस्मिक परीक्षायें लेना- कि बताओ तो मैंने उस वक़्त कौन सी साड़ी पहनी थी या... Hindi · कविता 3 2 357 Share Umesh Kumar Sharma 12 Jul 2020 · 1 min read समानता "जाइये , आप नही समझेंगे" के बाद आपका "मौन धारण" , या ' हाँ , तुम ठीक कहती हो" और "अरे, तुम नही समझोगी" के बाद उनके द्वारा आधे घंटे... Hindi · कविता 5 4 271 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read मेरा घर और विस्तारवादी नीतियाँ जब हम अपने फ्लैट मे शिफ्ट हुए थे। ये बिल्कुल तय था कि बेड रूम मे दो वॉर्डरोब होंगे। एक तुम्हारा और एक इस नाचीज़ का। कुछ दिन तो समझौते... Hindi · कविता 6 5 484 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति, मैं तुमसे अक्सर उलझ जाता हूँ। तुम्हे आजादी तो है बेशक है। पर कहीं तो हद होगी। तुम्हारा मुखर होना और मौन रहना फिर यकायक बोल उठना मुझे परेशान... Hindi · कविता 4 6 420 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read विरह-६ तेरे खयाल तड़पा गए दिल को चुपके से कहा और वो मचल उठा तेरे खयाल बेसाख़्ता, बेमायने से एक हल्की झलक जिस्म में झुरझुरी और गुज़र गए हाथ हिलाकर तेरे... Hindi · कविता 4 2 408 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read देखभाल मुझको धीमी आवाज़ मे बात करता देख तुम्हारे कान किचन से दौड़कर बैडरूम के दरवाजे पर आकर ठिठके, और दरवाजे से जा चिपके दबाव बनने पर दरवाजा हल्की आवाज़ के... Hindi · कविता 3 2 530 Share Umesh Kumar Sharma 11 Jul 2020 · 1 min read रंग एक दुःखद बात पर तुमने बोला भी लिखा भी जब सड़कों पर उतरे तो अच्छा लगा कि प्रतिक्रिया अब भी खड़ी होती हैं, मैं भी साथ हो लिया और ये... Hindi · कविता 2 278 Share Umesh Kumar Sharma 10 Jul 2020 · 1 min read प्रवक्ता टेलीविजन की स्क्रीन पर आये दिन कभी ढीली तो कभी कसी हुई रस्सियों पर बल्ली थामे दो खम्बो की दुरियों को कई बार नापने के बाद एक दिन जब मैं... Hindi · कविता 2 2 320 Share Umesh Kumar Sharma 9 Jul 2020 · 1 min read टेढ़ा मेढ़ा विकास इलाके मे, जल और कचरे के निकास के लिए जब नालियाँ सड़क के दोनों ओर चलने लगी, तो कुछ सीधे साधे घरों के बगल से वो भी बिल्कुल सीधी निकली।... Hindi · कविता 1 399 Share Umesh Kumar Sharma 9 Jul 2020 · 1 min read बिस्किट का पैकेट पापा ने अभी घर के सामान का थैला बस रखा ही था कि दो बच्चों ने अपने नन्हे हाथो को थैले मे एक साथ डाल दिया। दोनों का हाथ एक... Hindi · कविता 4 3 421 Share Umesh Kumar Sharma 8 Jul 2020 · 1 min read लड़कपन मे प्रथम दृष्टया पड़ोस की छत पर खड़ी दिखी थी तुम, इससे पहले कभी नही देखा था, तो सोचा उनकी रिश्तेदार हो। पहले हमने एक दूसरे को गौर से देखा, फिर आये दिन... Hindi · कविता 4 707 Share Umesh Kumar Sharma 7 Jul 2020 · 1 min read बिके हुए लोग सेना का मोर्चे पर मजबूती से डंटे होने के बाद सारा देश जब सबक सिखाने के लिए एक जुट होकर खड़ा हो गया। तब अचानक यहाँ कुछ लोगों को चीनी... Hindi · कविता 2 4 483 Share Umesh Kumar Sharma 7 Jul 2020 · 1 min read प्रश्न-पत्र मेरे हूँ, हाँ ठीक है!! एक दम, को सुनकर तुम एक पल विस्मित होकर, फिर एक हाथ से दरवाजे की चौखट पकड़कर, जब ये पहला प्रश्न मेरी ओर फेंकती हो... Hindi · कविता 2 491 Share Umesh Kumar Sharma 6 Jul 2020 · 1 min read बात तुमने जब ये कहा, नही,कोई बात नही!! तो फिर बहुत सारी बातों से पूछताछ लाजिमी हो गई। कि किस बात ने किस बात को क्या कहा? कयूं कहा? कैसे कहा?... Hindi · कविता 1 2 498 Share Umesh Kumar Sharma 6 Jul 2020 · 1 min read शब्द-२ तुम्हारी ताकत, चमक दमक, रुतबे का बखूबी अहसास है मुझे ये भी सच है आज जो कुछ भी हूँ तुम्हारी ही बदौलत हूँ। पर सदियों के तजुर्बे के बाद भी,... Hindi · कविता 2 6 410 Share Umesh Kumar Sharma 5 Jul 2020 · 1 min read शब्द शब्द कतार मे बैठे थे, मैं उस जानिब गुजरा तो हर एक ने इशारा किया, कि ये कहो!! इस तरह कहो!! और मुझको ही कहो!!! कुछ जो, भारी भरकम से... Hindi · कविता 5 2 446 Share Umesh Kumar Sharma 5 Jul 2020 · 1 min read इशारे सुबह तुमने जब मुँह बनाते हुए चाय का कप और अखबार रखा। चाय से निकली तुम्हारे गुस्से की गर्माहट चश्मे पर जाकर बैठ गई। अखबार की लाईने धुंधलाती गई। शायद... Hindi · कविता 1 5 596 Share Umesh Kumar Sharma 5 Jul 2020 · 1 min read दूरियाँ ट्रेन के डब्बे मे, तुम पास बैठे मिले आदतन, तुम्हारी भाषा, वेशभूषा खानपान को, मैं अपने फीते से नाप ही रहा था... कि अचानक हिचकियां आने पर तुम्हारी पानी की... Hindi · कविता 2 333 Share Umesh Kumar Sharma 4 Jul 2020 · 1 min read कद छत पर खड़े होकर जब राह चलते लोग बौने नजर आये। तब ये अहसास छलका कि मैंने मकान के कद को भी अपने साथ शामिल किया है आज। Hindi · कविता 1 5 429 Share Umesh Kumar Sharma 4 Jul 2020 · 1 min read प्रतिक्रिया प्रतिक्रिया , तुम अब वैसी नही रही। पहले तुम आमने सामने दिखा करती थी। और नजरो से होते हुए मन मे बैठ जाती थी। तुम मेरी राह तका करती थी... Hindi · कविता 1 4 554 Share Umesh Kumar Sharma 1 Jul 2020 · 1 min read माँ माँ वो हर सुबह तुम्हारा बिना अलार्म के उठ कर किचन में खप जाना वहीं से मुझे उठने के लिए आवाज़ देना, मेरी उनींदी आंखों की मिन्नत कि थोड़ी देर... Hindi · कविता 5 2 599 Share Umesh Kumar Sharma 1 Jul 2020 · 1 min read जान पहचान तुम पास से गुजरे तो चेहरे पर हल्की मुसकुराहट बस फैलने को थी तुम्हे भावहीन पाकर आंखे सिकुड़ कर तुम्हे अपरिचित बनाने मे जुट गई। अब ये अजनबीयत कायम रहेगी... Hindi · कविता 1 1 356 Share Umesh Kumar Sharma 28 Jun 2020 · 1 min read बहस आज तुम किसी बात पर उलझे तो मेरी प्रतिक्रिया भी सिर्फ मुद्दे पर न टिक सकी। क्योंकि ये बात तुमने कही थी इसलिए मेरा जवाब तो तुमसे उलट होना लाजिमी... Hindi · कविता 3 2 723 Share Umesh Kumar Sharma 26 Jun 2020 · 1 min read रिश्ता तुम्हारे साथ गुजरे एक एक लम्हे का हिसाब तो नही है मेरे पास। जिंदगी इस तरह सहेज कर तो नही रखी मैंने। किसी रिश्तेदार के मकान में सोफे पर बैठी... Hindi · कविता 2 4 654 Share Umesh Kumar Sharma 29 Jul 2019 · 1 min read ओंस की बूंदों सा वो जिंदगी है हर पल, नवीनता लिए अपनी सारी अल्हड़ता अपना चुलबुलापन कुछ भी तो नही खोया है उसने वक़्त के इस छोर तक बचा लायी है वो सब कुछ... Hindi · कविता 2 2 423 Share Umesh Kumar Sharma 29 Jul 2019 · 1 min read पहला अहसास उसकी मुस्कुराती हुई नम होती आँखें मेरी सुप्त खुशियों को अंदर तक भिगोती रही एक अनजाना अहसास जो कभी था मेरे भीतर शायद बचपन के किसी खिलौने में छोड़ आया... Hindi · कविता 1 494 Share Umesh Kumar Sharma 22 Jul 2019 · 1 min read तुम्हारे आने से ताजगी पहन सिमटा सा मन खुलने लगा है तुम्हारे आने से बिखरता वक़्त ठहरा सा लगता है नई आहट से तुम्हारी आँखों में लहराती एक शाख देखी है आशाओं के... Hindi · कविता 1 352 Share Page 1 Next