Comments (16)
26 Jun 2022 09:53 PM
Bhaut achai Kavita hai
Umesh Kumar Sharma
Author
26 Jun 2022 10:19 PM
धन्यवाद दीदी
26 Jun 2022 07:43 PM
कुछ अतिशयोक्ति नहीं करते आप पति, पत्नियों को लेकर?
Umesh Kumar Sharma
Author
26 Jun 2022 08:05 PM
हास्य, व्यंग्य में थोड़ी बहुत अतिश्योक्ति की गुंजाइश तो रहती है, इस कविता में साझा अनुभव थोड़े व्यक्तिगत भी हैं, इसे हल्के फुल्के तरीके से पेश करने की कोशिश की है। सामान्यीकरण करने का मेरा कोई इरादा भी नहीं है। पर एक पति जब कुछ व्यक्त करता है तो उसे सब पतियों का प्रतिनिधि समझ लिया जाता हैं। आप कृपया इसे अन्यथा न लें, एक व्यक्तिगत सा गुदगुदाता अनुभव समझ लें, जिसमे एक दूसरे पर अधिकार, एक दूसरे की आदतों को स्वीकार करना भी, अंतर्निहित प्रेम का ही रूप है, बस रूमानी सा दिखता नहीं है।
26 Jun 2022 02:31 PM
Beautiful poem. Loved it.
Umesh Kumar Sharma
Author
26 Jun 2022 02:51 PM
Thank you
26 Jun 2022 12:46 PM
Beautifully composed ❤️
Umesh Kumar Sharma
Author
26 Jun 2022 02:51 PM
Thank you
26 Jun 2022 12:04 PM
अति उत्तम और मजेदार
Umesh Kumar Sharma
Author
26 Jun 2022 12:15 PM
आपका आभार
26 Jun 2022 11:37 AM
Relatable for every wife. Bahut badhiya
Umesh Kumar Sharma
Author
26 Jun 2022 12:16 PM
आपका धन्यवाद
26 Jun 2022 11:28 AM
लाजवाब !!
Umesh Kumar Sharma
Author
26 Jun 2022 12:16 PM
आभार
बहुत ही सुंदर रचना जिसमें व्यंग के साथ प्रेम छुपा है।लड़ाई वही होता है जहा हक होता है।बहुत खूब।
आपके शब्दों का आभार