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5 Jul 2020 · 1 min read

दूरियाँ

ट्रेन के डब्बे मे,
तुम पास बैठे मिले

आदतन,
तुम्हारी भाषा,
वेशभूषा
खानपान को,

मैं
अपने फीते से
नाप ही रहा था…

कि अचानक हिचकियां आने पर
तुम्हारी पानी की पेशकश
ने मेरी ओर बढ़कर

सारी दूरियों पर
पानी डाल दिया।

गला तर होते ही,
सोचें खिसियाती हुई
मेरे फीते को लेकर
पहले रुखसत हुई।

हिचकियां तो जाते जाते ही गयीं।

Language: Hindi
2 Comments · 310 Views
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