Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (2)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

लब खामोश रहे मगर आंखों आंखों में बात हो गई।
कुछ गिले-शिकवे आंखों ने किए , कुछ रजामंदी मुस्कुराहटों से हो गई।

श़ुक्रिया !

16 Jul 2020 06:18 PM

सदर आभार आपका

Loading...