कवि संजय कौशाम्बी 329 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 4 min read ईमान बिक गया ढेले में बड़ा अचम्भा देखा हमने, इस दुनिया के मेले में बेईमानी में मिले करोङों,ईमान बिक गया ढेले में झूठ का सब बाजार लगा है, लूट रहा है जादूगर सड़कों पर हो... Hindi · कविता 986 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read लहर लहर लहराये तिरंगा आजादी का दिन गूँजा है जन गण मन के गान से लहर लहर लहराए तिरंगा नीलगगन में शान से सच्चाई की राह चलें हम और इरादे नेक हों भेदभाव की... Hindi · गीत 868 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read मैं तो मजे में हूँ बताऊँ क्या मैं भला तुझको कै़फि़यत अपनी मैं तो मजे में हूँ तू सोच ख़ैरियत अपनी नहीं तुझे ही महज है गुरूर अपने पर हर एक शख्स की होती है... Hindi · मुक्तक 729 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read सोरठा छंद सोरठा छंद कब से रहा पुकार,खड़ा शारदे द्वार मैं विनती लो स्वीकार,माँगू तेरा प्यार मैं रख दो हाथ अशीष,माँ वीणापाणि दयाल नतमस्तक मुनि ईश,सब लाये पूजा थाल तेरे चरण पखार,करूँ... Hindi · कविता 695 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read एक दिन राधिका ने कहा श्याम से एक दिन राधिका ने कहा श्याम से छोड़ कैसे गए इतने आराम से दिन के सूरज में तकती हूँ चेहरा तेरा फूल यादों के खिल जाते हैं शाम से थाम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 754 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read पुरानी तस्वीरें खुद को पहचानने की कोशिश कल और आज का बदलाव अतीत में डूब जाने की उत्कंठा जाने क्या कारण है नहीं पता मुझे किन्तु फिर भी पुरानी तस्वीरें देखना अच्छा... Hindi · कविता 1 558 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read जरूरत क्या है बेवज़ह वक्त़ बदलने की जरूरत क्या है तुझे तूफान में जलने की जरूरत क्या है सजाए बैठा हूँ कमरा ए दिल तुम्हारे लिए आस्तीनों में यूँ पलने की जरूरत क्या... Hindi · मुक्तक 523 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम इतने उदास क्यों हो बताओ न! तुम इतने उदास क्यों हो तुम्हारा कुछ खो गया क्या या कोई अपना छोड़कर चला गया या फिर किसी ने चुरा ली तुम्हारी इच्छाओं के महासागर से दो... Hindi · कविता 513 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read करने लगा हूँ शायरी सर्दी-जुकाम पर ना तो यकीं सुबह पे है ना तो है शाम पर आकर खड़े हैं इश्क़ में ऐसे मुकाम पर टूटा पड़ा था जोड़ा कितनी बार दिल मगर आने नहीं दी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 689 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read प्यारा बचपन चला गया.. बिजली,बादल,पानी वाला सुंदर सावन चला गया यादों की सौगात थमाकर प्यारा बचपन चला गया माटी के घर के आँगन में अपना एक बगीचा था छोटे पौधे रोप-रोपकर लोटा भर-भर सीचा... Hindi · गीत 537 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 1 min read उदास सी क्यों है किसी अनजानी सी आहट की तलाश सी क्यों है मेरे घर की ओर जाने वाली गली उदास सी क्यों है हुए रुसवा दूरियाँ बढ़ती रही बिछड़ कर मुझसे वो अब... Hindi · कविता 1 512 Share कवि संजय कौशाम्बी 3 May 2020 · 2 min read क्या दिन थे वो... क्या दिन थे वो जब हम घर से बाहर जाया करते थे चाट,पकौड़ी और बतासे जमकर खाया करते थे दूकानों पर छनी जलेबी और समोसे चले गए छोले-भटूरे,इडली-विडली,डोसे-वोसे चले गए... Hindi · कविता 1 1 528 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read जय श्री राम कहा करिए मन हो जाए प्रफुल्लित पल में सुबहो शाम कहा करिए बिगड़ा काम बनाना हो तो जय श्री राम कहा करिए साधारण से साधारण को इस नाम ने खास बना डाला... Hindi · गीत 523 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 11 min read मैं ही समाज हूँ रात के दस बजे होंगे ।वातावरण में हल्की ठंड थी। राघव के माथे पर पसीने की बूँदें छलक रही थी...वह कुछ परेशान सा था। एक्सीलेटर पर उसके पैर का दबाव... Hindi · कहानी 493 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारी कनपटी पर कटे या न कटे पर कसमसा कर हम भी बैठे हैं तुम्हारे इश्क में गर्दन फँसाकर हम भी बैठे हैं जमाना चल रहा है चाल शतरंजी ज़माने से वजीरी दांव... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 492 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 2 min read सजा मघइया मेला रे आया माघ-मघइया जुट गई भीड़ है रेलमरेला रे संगम तट पर तन गए तम्बू सजा मघइया मेला रे साधू-संतन के फौजन मे भांति-भांति के लोग जुटे कौनों के है जटा... Hindi · गीत 430 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read दिल की लगी थी ... दिल की लगी थी न तो कोई दिल्लगी हुई ना तो दुआ सलाम न तो पँयलगी हुई जाने था कौन दिल में जिसने घर बना लिया जाले में मकड़ियों को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 436 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read जीत के इस हार की जीत के इस हार की किसको जरूरत है टूटते पतवार की किसको जरूरत है प्यार के हथियार से ही जीत लूँगा जंग तीर की तलवार की किसको जरूरत है Hindi · मुक्तक 1 430 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read जिन्हें है शौक दिखाता है जो हमको रौब सत्ता के ठिकाने का मिला करता है उसको काम बस चादर बिछाने का अना कहती है उसके साथ मत रहना कभी 'संजय' जिन्हें है शौक... Hindi · मुक्तक 467 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read तुम नजर आए तुम इस तरह मेरे वजूद में उतर आए देखा आईने में खुद को तो तुम नजर आए भुला दिया तुमने मुझको एक पल में मगर तुम जो बिछड़े तो मुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 519 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read कान्हा जो रोए कान्हा जो रोए चाँद पकड़ने को हाथ में भरकर के पानी रख दिया माँ ने परात में गोकुल में नदी दूध की गउओं ने बहा दी मक्खन चुरा के खाया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 456 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पता है सब हैसियत तुम्हारी पता है सब हैसियत तुम्हारी हमें भला क्या जता रहे हो हमीं ने बैठाया है सदन में हमीं को आँखें दिखा रहे हो जो कल तलक थे अज़ीज़ दिल के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 465 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read जरूरत क्या है बता यूँ वक्त़ बदलने की जरूरत क्या है तुझे तूफान में जलने की जरूरत क्या है कर्ज जब माफ कर दिया तो फिर बचा के नजर निकलने की जरूरत क्या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 451 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम्हारी यादों के अंजुमन में... तुम्हारी यादों के अंजुमन में हमारी धड़कन मचल रही है चले भी आओ कि जान मेरी ये धीरे-धीरे निकल रही है हमारी बाँहों की कैद से तुम निकल गए जब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 456 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read वो दे देगा तुम्हें घर.. ख़ुदा रुतबा युँ ही अपना कभी खोने नहीं देगा सदाक़त इश्क़ में हो तो जुदा होने नहीं देगा सदा फुसला के रखना दिल को ये नादान बालक है अगर रोया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 448 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read खूनखराबा होने दो कान बंद कर पाक सिंह ने खुलकर आज दहाड़ा है जो भी पड़ा सामने उसको दंत नखों से फाड़ा है दुनिया भर में गूँज रही जो दिल्ली की ललकार सुनो... Hindi · कविता 449 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read कमजोरियाँ बैठी सदा.... कमजोरियाँ बैठी सदा सरगोशियाँ करती रहीं बातें हमेशा होश की बेहोशियाँ करती रहीं करते रहे वो बदजुबानी शोरगुल का जोर था फिर भी फ़तह हर जंग को खामोशियाँ करती रहीं Hindi · मुक्तक 460 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read विश्वास नहीं डिगने देना भूल तुम्हारी है गर समझे परिवर्तन की आहट है ये तो मात्र नियंता के मन की पीड़ा अकुलाहट है यूपी के जनता की सुन लो कैसी करुण कहानी है न... Hindi · कविता 449 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read कम्बख्त तू मुस्कुराती रही मैं खाता रहा ठोकरें दर ब दर और कम्बख्त तू मुस्कुराती रही तूने बताया ही कब सच और झूठ का फर्क मैं तो वही बोलता रहा जिंदगी जो तू सिखाती... Hindi · कविता 1 451 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read बुजुर्गों की दुआ आने दो है असरदार बुजुर्गों की दुआ आने दो खिड़कियाँ खोल दो अब ताज़ी हवा आने दो आज बीते हुए लमहों को गुनगुनाने दो पहली बारिश है ये सावन की भीग जाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 484 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read ना सखि गरमी पकड़ कलाई देह लगावे सखियन बीच मोहि तड़पावे छोड़े न मोहे घर अंग ना का सखि साजन?न सखि कंगना अंग अंग सखि प्यास बढ़ावै बगिया मा मोरे बौरावै खींच अँचरा... Hindi · कविता 1 415 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बनाकर चाँद को मामा बनाकर चाँद को मामा नए रिश्ते जिलाती हैं सुनाकर लोरियाँ बच्चों को जब माएँ सुलाती हैं न आये आँख में आँसू तुम्हें कैसे दुआ दे दूँ जियादा हों अगर खुशियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 416 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 2 min read रावण का इंटरव्यू - ये बताइए महाराज रावण, आपने माता सीता का हरण क्यों किया था? रावण- हरण!!! क्या मूर्खों जैसी बातें कर रहे हो? मैने तो सीता को आश्रय दिया था ताकि... Hindi · लघु कथा 458 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read बेटी को दो तालीम बेटी को दो तालीम घर खुशियों भरा हो जायेगा पानी जड़ में डाल दो पत्ता हरा हो जायेगा चाल ग़र समझो सियासत की तो अच्छी बात है वर्ना फिर बंदर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 430 Share कवि संजय कौशाम्बी 24 Mar 2020 · 2 min read शब्दों को मुस्कुराते हुए एक दिन मैं हिंदी वर्णमाला के अक्षरों से बुन रहा था शब्दों के जाल ताकि उनमे अपने जज्बातों को पिरोकर लिख सकूँ कोई भावयुक्त कविता किन्तु जैसे ही मैं लिखता... Hindi · कविता 1 399 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम ही बाधाओं से लड़े नहीं मंजिल मिलने को आतुर थी लक्ष्य तुम्हीं ने गढ़े नहीं जीत तुम्हारी तय थी तुम ही बाधाओं से लड़े नहीं हार मानकर बैठ गए तुम शिखरों की ऊँचाई से तत्पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 400 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read मजा जन्म पाया तो लिया दुनिया में आने का मजा छुटपन में उन दस पाँच पैसों को कमाने का मजा आयी जवानी तो अदा से दिल चुराने का मजा बेबस बुढ़ापा... Hindi · कविता 382 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read होली की विदाई महफिल है सजी दीवानों की करने धमाल तुम आ जाओ होली की विदाई करनी है लेकर गुलाल तुम आ जाओ हम लोग हैं सीधे साधे जन चुप मार के बैठे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 447 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 2 min read रक्षक हैं ये जवान झूठ का पर्दा हटा आँख से सच्चाई को देखो तुम कश्मीरवासियों वीर जवानों पर मत पत्थर फेंको तुम याद करो जब बाढ़ की जद में फँसा हुआ कश्मीर था बालक,महिला,वृद्ध... Hindi · कविता 388 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read ये कैसी आजादी है वस्त्र विदेशी तन को ढँकते कूड़ेदान में खादी है तुम्हीं बताओ मुझको बापू ये कैसी आजादी है अन्न उगाने वालों के घर मौत भूख से होती है दशा देखकर झोपड़ियों... Hindi · गीत 1 1 385 Share कवि संजय कौशाम्बी 21 Mar 2020 · 1 min read अर्थी को भी कंधा नहीं दिया है कौन जिसको माया का फंदा नहीं दिया अब तक खुदा ने नेक वो बंदा नहीं दिया मैने बरात छोड़ी क्या उस शख्स की 'संजय' उसने मिरी अर्थी को भी... Hindi · मुक्तक 389 Share कवि संजय कौशाम्बी 22 Mar 2020 · 1 min read कर्फ्यू अभी जारी है धन्यवाद देना था उत्सव नहीं मनाना था कोरोना अभी जिंदा है तुम्हें बाहर नहीं आना था भूल गए कोरोना महामारी है घर के अंदर जाओ कर्फ्यू अभी जारी है Hindi · कविता 1 421 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read लंगर उठाना पड़ेगा भँवर में सफीने को जाना पड़ेगा कभी तो ये लंगर उठाना पड़ेगा तन्हा जा रहा हूँ मगर याद रखना तुम्हें भी मिरे बाद आना पड़ेगा मुहब्बत है मंजिल मगर रास्ते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 412 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read चला था जब मैं चला था जब मैं साथ मेरी परछाई भी थी भीड़ के दामन में दुबकी तनहाई भी थी किसी के घर में मातम था सन्नाटा था वहीँ किसी के घर गूंजी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 410 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read बेसहारा मत समझ लेना मिरे किरदार को बेबस बिचारा मत समझ लेना अभी है जंग बाकी यार हारा मत समझ लेना फ़लक पर चल रहा हूँ मैं तेरा दीदार करने को मुझे टूटा हुआ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 413 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read तुम कहाँ बैठे हुए हो मुँह फुलाए दिल भला लम्हात वो कैसे भुलाए जब खड़े थे सामने तुम सिर झुकाए वो मिला बैठा हुआ अपने ही भीतर हम जिसे चारों दिशा में खोज आए तुम बहारों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 405 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read पुरखों की निशानी बेच देते हैं महज सिक्कों में अपनी ज़िंदगानी बेच देते हैं नयी मिल जाए तो चीजें पुरानी बेच देते हैं तड़पता प्यास से व्याकुल जो कोई आये चौखट पर तो भरकर बोतलों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 398 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read बताऊँगा तुम्हें वो बात बताऊँगा तुम्हें वो बात जो खुद से छिपाता हूँ तुम्हीं हो देखकर जिसको मैं ये गजलें बनाता हूँ गलतफहमी की इस दीवार का है बस सिला इतना उधर तुम जुड़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 385 Share कवि संजय कौशाम्बी 18 Mar 2020 · 1 min read .उन्हें चलना नहीं आया है साँचा वक़्त का जिसमें तुम्हें ढलना नहीं आया करे तूफान क्या जब तुमको ही जलना नहीं आया बना करते वही.....इतिहास के पन्नों की गाथायें भरोसे भाग्य जिनको फूलना-फलना नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 373 Share कवि संजय कौशाम्बी 19 Mar 2020 · 1 min read राधा याद आती है मेरे ख्वाबों में आकर रात भर मुझको जगाती है कहा कान्हा ने ऊधौ से कि राधा याद आती है अकेले बैठकर गुमसुम वो मुझको सोचती होगी कि पलकें बंदकर हरदम... Hindi · गीत 417 Share Page 1 Next