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18 Mar 2020 · 1 min read

एक दिन राधिका ने कहा श्याम से

एक दिन राधिका ने कहा श्याम से
छोड़ कैसे गए इतने आराम से

दिन के सूरज में तकती हूँ चेहरा तेरा
फूल यादों के खिल जाते हैं शाम से

थाम कर हाथ मधुवन में बोले थे तुम
ना हटाओगे मुझको कभी बाम से

प्यार सच्चा रहेगा कयामत तलक
जाओगी न कभी मन के इस धाम से

कंस भी मर गया राज्य भी मिल गया
बोलो मथुरा में बैठे हो किस काम से

प्यार सच्चा था तो फिर बताओ मुझे
जानकी क्यों जुदा हो गयी राम से

ना करो ब्याह दुनिया को समझा दो पर
क्यों मोहब्बत शराबी को है जाम से

चाह कर भी न तुम दूर जा पाओगे
नाम मेरा यूँ जुड़ जाएगा नाम से

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