Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Mar 2020 · 1 min read

कर्फ्यू अभी जारी है

धन्यवाद देना था
उत्सव नहीं मनाना था
कोरोना अभी जिंदा है
तुम्हें बाहर नहीं आना था
भूल गए कोरोना महामारी है
घर के अंदर जाओ
कर्फ्यू अभी जारी है

Language: Hindi
1 Like · 421 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सियासत हो
सियासत हो
Vishal babu (vishu)
सोच विभाजनकारी हो
सोच विभाजनकारी हो
*Author प्रणय प्रभात*
दोगला चेहरा
दोगला चेहरा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दिल का दर्द💔🥺
दिल का दर्द💔🥺
$úDhÁ MãÚ₹Yá
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
धीरे-धीरे ला रहा, रंग मेरा प्रयास ।
sushil sarna
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
तूझे क़ैद कर रखूं ऐसा मेरी चाहत नहीं है
Keshav kishor Kumar
"बोलती आँखें"
पंकज कुमार कर्ण
योग दिवस पर
योग दिवस पर
डॉ.सीमा अग्रवाल
जुगाड़
जुगाड़
Dr. Pradeep Kumar Sharma
गांधी जयंती..
गांधी जयंती..
Harminder Kaur
मनुष्य का उद्देश्य केवल मृत्यु होती हैं
मनुष्य का उद्देश्य केवल मृत्यु होती हैं
शक्ति राव मणि
सूरज की किरणों
सूरज की किरणों
Sidhartha Mishra
हिंदी का सम्मान
हिंदी का सम्मान
Arti Bhadauria
सच ही सच
सच ही सच
Neeraj Agarwal
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
ना तो हमारी तरह तुम्हें कोई प्रेमी मिलेगा,
Dr. Man Mohan Krishna
पैसा होय न जेब में,
पैसा होय न जेब में,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
राम विवाह कि हल्दी
राम विवाह कि हल्दी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
समृद्धि
समृद्धि
Paras Nath Jha
क्रोटन
क्रोटन
Madhavi Srivastava
"अनमोल सौग़ात"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
रिश्तों का बदलता स्वरूप
रिश्तों का बदलता स्वरूप
पूर्वार्थ
बदनसीब लाइका ( अंतरिक्ष पर भेजी जाने वाला पशु )
बदनसीब लाइका ( अंतरिक्ष पर भेजी जाने वाला पशु )
ओनिका सेतिया 'अनु '
23/13.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
23/13.छत्तीसगढ़ी पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है
तेरा इश्क जब ख़ुशबू बनकर मेरी रूह में महकता है
शेखर सिंह
" भूलने में उसे तो ज़माने लगे "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
बेटी की बिदाई ✍️✍️
बेटी की बिदाई ✍️✍️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
नहीं विश्वास करते लोग सच्चाई भुलाते हैं
आर.एस. 'प्रीतम'
तिरंगा
तिरंगा
लक्ष्मी सिंह
इंसानियत का कोई मजहब नहीं होता।
इंसानियत का कोई मजहब नहीं होता।
Rj Anand Prajapati
Loading...