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24 Mar 2020 · 1 min read

उदास सी क्यों है

किसी अनजानी सी आहट की
तलाश सी क्यों है
मेरे घर की ओर जाने वाली गली
उदास सी क्यों है

हुए रुसवा
दूरियाँ बढ़ती रही
बिछड़ कर मुझसे
वो अब भी मेरे पास सी क्यों है

पी गया एक-एक बूँद
मैं समुन्दर की
आत्मा के लबों पे फिर
भटकती प्यास सी क्यों है

सांस चलती है धड़कता है दिल
जिस्म ठंडा है क्यों
वो चलती-फिरती लाश सी क्यों है

सारी खुशिया खुदा ने डाली
उसके दामन में
बैठी गुमसुम सी अकेले में
वो निराश सी क्यों है

जेठ की दुपहरी सी तपती
वीरान है वो
मगर आँखों में छुपाये हुए
मधुमास सी क्यों है

मैंने भूगोल समझा और
पढ़ लिया उसको
हुई रहस्यमयी आज वो
इतिहास सी क्यों है

कल तक तो खिलखिलाई
खूब हंसी बचपन में
ज़िंदगी आज मगर लगती
कारावास सी क्यों है

Language: Hindi
1 Like · 503 Views
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