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19 Mar 2020 · 1 min read

बेसहारा मत समझ लेना

मिरे किरदार को बेबस बिचारा मत समझ लेना
अभी है जंग बाकी यार हारा मत समझ लेना

फ़लक पर चल रहा हूँ मैं तेरा दीदार करने को
मुझे टूटा हुआ कोई सितारा मत समझ लेना

मिली मंजिल मगर दी छोड़ शायद बेखुदी में थे
बड़े थे सिरफिरे हम सब अवारा मत समझ लेना

मिलोगे एक दिन आकर मिरे विस्तार में तुम भी
समंदर हूँ मुझे दरिया कि धारा मत समझ लेना

लहू बिखरा हुआ टूटी हुई है हाथ की चूड़ी
इसे कशमीर का सुंदर नजारा मत समझ लेना

जरा इक बार चख कर देख लो तासीर को मेरी
बड़ा मीठा सुजल ए झील खारा मत समझ लेना

न उलझो अब गरीबों की सुलगती आह से संजय
मुहाफ़िज है खुदा तुम बेसहारा मत समझ लेना

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