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18 Mar 2020 · 1 min read

होली की विदाई

महफिल है सजी दीवानों की करने धमाल तुम आ जाओ
होली की विदाई करनी है लेकर गुलाल तुम आ जाओ

हम लोग हैं सीधे साधे जन चुप मार के बैठे कोने में
तुम तो अल्हड़ तरुणाई हो बनकर कमाल तुम आ जाओ

शहरों के कंकड़ पत्थर में घुटने लगता है दम मेरा
बस गाँव की सोंधी खुशबू सँग माटी के लाल तुम आ जाओ

उत्तर की प्रतीक्षा में होली आई थी जो,जाने वाली है
छोड़ो उत्तर प्रत्युत्तर फिर बनकर सवाल तुम आ जाओ

रंगों की रँगोली बनकर तुम बिखरी हो आँगन में फिर भी
आँखों में नमी कैसे आई पूछो न हाल तुम आ जाओ

दिन रात दरकते रिश्तों में माना वो बात नहीं लेकिन
टूटे कसमें वादों का ही करके खयाल तुम आ जाओ

इस रंग बरसते मौसम से कुछ रंग चुराकर के ‘संजय’
छोड़ो भी ये अगले बरस की रट अबकी ही साल तुम आ जाओ

1 Like · 446 Views
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