जगदीश शर्मा सहज Language: Hindi 128 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next जगदीश शर्मा सहज 30 Mar 2022 · 1 min read मुक्तक किताबों में रखे गुल का, न कोई दाम होता है। दिलों में घर बना ले जो,उसी का नाम होता है।। वफादारी निभाता है,पतंगा आग में जलकर । किसी से प्रेम... Hindi · मुक्तक 1 154 Share जगदीश शर्मा सहज 20 Feb 2022 · 1 min read ऊषारानी ऊषारानी ओस भरी चादर लाई। धीरे-धीरे धूप खिली रौनक आई।। पूर्वाओं ने बादल को सोमलता दी। बूंदों ने वातायन को शीतलता दी।। ठंडी-ठंडी तेज हवाएँ चलती हैं। बूढ़ों को वो... Hindi · कविता 1 285 Share जगदीश शर्मा सहज 13 Feb 2022 · 1 min read वसंत को छाने दो सूने-सूने उद्यानों में फूलों का मौसम आने दो ऋतु वसंत को छाने दो। सूखी कलियाँ मनुहार करें कब सज-धजकर शृंगार करें डाली से मत तोड़ो उनको कुछ पल तो मुस्काने... Hindi · गीत 1 2 366 Share जगदीश शर्मा सहज 2 Feb 2022 · 1 min read अश्लीलता से बचें पुरुष हो या नारी जो भी नग्नता परोसते, उनका समाज में विरोध होना चाहिए। नौनिहाल देश के अबोध हैं समझ नहीं , उनको अश्लीलता के रोग से बचाइए। संस्कारों की... Hindi · घनाक्षरी 2 1 251 Share जगदीश शर्मा सहज 25 Jan 2022 · 1 min read "प्रि-वेडिंग" प्रि-वेडिंग की शूटिंग पर कैमरा मैन ने यश व अनामिका को पास-पास खड़ा कर दिया और बोला -"अब आप दोनों एक दूसरे के हाथ में हाथ लीजिए उसके बाद गले... Hindi · लघु कथा 229 Share जगदीश शर्मा सहज 24 Jan 2022 · 1 min read बालिका वधु फूलों जैसी नाज़ुक होती बेटी। कितने सारे ख़्वाब सँजोती बेटी।। डोली में चढ़कर होती है रुख़सत । और सभी की आँख भिगोती बेटी।। बाबुल का घर आँगन सूना करके ।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 274 Share जगदीश शर्मा सहज 5 Dec 2021 · 1 min read पुरानी पीढ़ी जिस पीढ़ी ने अपना जीवन, संघर्षों में खोया । संस्कार शिक्षा के बल पर,बीज प्रेम का बोया ।। रिश्तों का संसार बसाने, जिसने लोहू सींचा। अपने बलशाली हाथों से, जिसने... Hindi · कविता 1 2 566 Share जगदीश शर्मा सहज 2 Dec 2021 · 1 min read सर्द रातें सर्द रातों का सितमगर आ गया | ओस में सिमटा दिसंबर आ गया || बादलों में छुप गया सूरज कहीं . | और उसका नूर छत पर आ गया ||... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 226 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Nov 2021 · 1 min read नन्हा मानव यदि एक वायरस दुनिया में, मृत्युंजय बन जायेगा । अदृश्य शत्रु से फिर कैसे, नन्हा मानव लड़ पायेगा।। घबराकर पीछे भागेगा, मिथ्या सुख साधन छोड़ेगा । जितनी आवश्यक होगी, उतनी... Hindi · कविता 566 Share जगदीश शर्मा सहज 26 Nov 2021 · 1 min read हिंसा कहीं पर आग की लपटें, कहीं पर खून का कतरा । वफ़ा कब तक निभाओगे, बताकर देश पर खतरा।। चुनावी लाभ लेने की, रहेगी आपकी फ़ितरत । गरीबों को लड़ाने... Hindi · कविता 1 1 334 Share जगदीश शर्मा सहज 26 Nov 2021 · 1 min read वायु प्रदूषण बड़े शहरों में सांस लेना कठिन हो गया, वायु प्रदूषित हो गई। अति-विकास, अनियंत्रित निर्माण तथा, अवैध उत्खनन ने भूमि उजाड़ दी सारी रंगत खो गई।। कारखानों का अरबों टन... Hindi · कविता 369 Share जगदीश शर्मा सहज 26 Nov 2021 · 1 min read जिद मुक्तक / उनकी जिद है कि इंसान को परेशां कर दें। चौक-चौराहों को बदरंग कर कूड़ा भर दें ।। बीज अलगाव के बोकर उगा दें कंटक। देश के सीने में... Hindi · मुक्तक 449 Share जगदीश शर्मा सहज 26 Nov 2021 · 1 min read मुक्तक (विधाता छन्द) विनत होकर सहारा दे , वही इंसान होता है | रसीला वृक्ष फल देता, उसी का मान होता है || अकड़ में जो सदा रहता, जगह दिल में नहीं पाता... Hindi · मुक्तक 1 1 399 Share जगदीश शर्मा सहज 15 Nov 2021 · 1 min read देवोत्थान एकादशी तुलसी विवाह ,देवोत्थान एकादशी की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं? आओ हम सब करें मांगलिक कार्यों की शुरुआत सात्विक श्रद्धा और विश्वास से । नई आशा- नई उम्मीद के साथ फिर... Hindi · कविता 1 366 Share जगदीश शर्मा सहज 25 Oct 2021 · 1 min read ग़ज़ल ये जमीं जो एक घर है । हम सभी की रहगुज़र है।। खुशनुमा इसकी सतह पर। एक छत आकाश भर है।। भिन्न हैं मज़हब सभी के । एक सबका ईश्वर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 241 Share जगदीश शर्मा सहज 25 Oct 2021 · 1 min read शरद का चंद्रमा शरद का चंद्रमा प्यारा, हमें कितना लुभाता है। कलाधर बन गगन में यह, सुबह तक जगमगाता है।। शरद की पूर्णिमा का दिन, बड़ा पावन, बड़ा शीतल। धवल आकाश स्वर्णिम सा,... Hindi · गीत 327 Share जगदीश शर्मा सहज 25 Oct 2021 · 1 min read चाँद और दिया मीलों लम्बे फासले के बीच, टिमटिमाता एक दिया आश और विश्वास का। अनगिनत कड़वाहटों के दरम्यान, पुरातन मान्यताओं को निभाता एक दिया। अहं के झोंखों से अँधेरे में लड़खड़ाता एक... Hindi · कविता 207 Share जगदीश शर्मा सहज 13 Oct 2021 · 1 min read मुक्तक वाचाल औरत क्रुद्ध होकर, शब्द कड़बे बोलती। सुनकर हृदय संतप्त होता, भेद घर का खोलती।। छल और अतिअभिमान कर परिवार में करती कलह। पति और बच्चों के लिए वह विष... Hindi · मुक्तक 274 Share जगदीश शर्मा सहज 13 Oct 2021 · 1 min read जयति जय दुर्गा भवानी जयति जय दुर्गा भवानी। तुम सकल वरदानदानी।। हरि शयन करने सिधारे, देवता हा-हा पुकारे । मात ने मधु और कैटभ, दैत्य शुम्भ-निशुम्भ मारे।। कल्प का उद्गम निकट था, और था... Hindi · गीत 2 3 205 Share जगदीश शर्मा सहज 12 Oct 2021 · 1 min read "बोझ" पति-पत्नी के बीच आपसी कलह को सुनकर लोक अदालत के जज साहब बोले " आज की पत्नी अपने पति पर बोझ बनना नहीं चाहती।वह स्वयं कमाना जानती है, और अपने... Hindi · लघु कथा 2 275 Share जगदीश शर्मा सहज 12 Oct 2021 · 1 min read "हाय पैसा" जो औरत सिर्फ रुपयों को महत्व देती हो वह पति का प्यार नहीं पा सकती। आजकल हर कोई डिग्री लिए फालतू बैठा है , अतिमहत्वाकांछा हर व्यक्ति के मन में... Hindi · लेख 3 243 Share जगदीश शर्मा सहज 11 Oct 2021 · 1 min read खीझ "लिखने-पढ़ने के अलावा तुम्हें और कोई शौक नहीं है क्या?" सरिता ने खीझते हुए आदित्य से कहा । दरअसल सप्ताहांत की छुट्टी में आदित्य घर के जरूरी काम निबटाकर अपनी... Hindi · लघु कथा 4 1 309 Share जगदीश शर्मा सहज 7 Oct 2021 · 1 min read माता के जयकारे जगमग दीपक चमके द्वारे ।। माता के गूँजे जयकारे।। जय जगदम्बे अम्बे काली। ऊँचे पर्वत- महलों वाली।। श्रद्धा के फूलों से भरकर । लाया हूँ पूजा की थाली ।। माता... Hindi · गीत 2 2 309 Share जगदीश शर्मा सहज 5 Oct 2021 · 1 min read लघुकथा-नल की टोंटी सुरेखा- " रवि, मैंने कितनी बार कहा है कि नल की टोंटी में पानी कम आता है जिससे किचिन के काम में ज्यादा समय लगता है,सारी टोंटियां बदलवा लो, तेज... Hindi · लघु कथा 2 1 429 Share जगदीश शर्मा सहज 5 Oct 2021 · 1 min read नाक में दम आंदोलन अनशन करो , कर दो चक्काजाम। अब तो हिंदुस्तान में, प्रतिदिन का यह काम।। प्रतिदिन का यह काम, नाक में दम कर दी है। सुलगा सकल समाज, आग अंदर... Hindi · कुण्डलिया 1 295 Share जगदीश शर्मा सहज 5 Oct 2021 · 1 min read मुक्तक छंद - स्रग्विणी (मापनीयुक्त वर्णिक - 12 वर्ण) मापनी - गालगा गालगा गालगा गालगा. ध्रुव शब्द - ' चाहिए ' क्रोध के वेग को रोकना चाहिए। प्रेम को सृष्टि में... Hindi · मुक्तक 1 192 Share जगदीश शर्मा सहज 4 Oct 2021 · 1 min read गीत: जीवन_मृत्यु न जाने किस डगर पर जन्म लेकर फिर विचरना है। प्रकृति ने हाथ से रचकर हमें भू-लोक में भेजा। करोड़ों रश्मियों से सूर्य के आलोक में भेजा।। न जाने किस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 273 Share जगदीश शर्मा सहज 3 Oct 2021 · 1 min read गजल- हमें भूल जाओ छुपाकर युँ चेहरा नज़र न मिलाओ। बुरा है ये मौसम हमें भूल जाओ।। अभी तो शहर आग से जल रहा है। अभी आतिशी यूँ सितम न ढहाओ।। कि हम-तुम सभी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 260 Share जगदीश शर्मा सहज 3 Oct 2021 · 1 min read होंठ खामोश हैं हर जगह मौत का कहर क्यूँ है जिंदगी खौफ में बसर क्यूँ है होंठ खामोश हैं बदन टूटा ग़म से इंसान तर-ब-तर क्यूँ है ख़ुशनसीं शाम अब हुई बोझल चाँद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 257 Share जगदीश शर्मा सहज 2 Oct 2021 · 1 min read प्रेम बिना सब सून अनमने बे-मेल रिश्ते, जिंदगी भर तक सतायें। दो दिलों में टीस देकर, रातदिन सीना जलाएँ।। यदि विचारों का समन्वय,आपसी में ही नहीं हैं। तो कभी बेजान रिश्ते, भूलकर भी ना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 194 Share जगदीश शर्मा सहज 1 Oct 2021 · 1 min read रचें मधुभाव भरे हम छंद आधार छंद - मोतियदाम(मापनीयुक्त वर्णिक छंद) मापनी- लगाल लगाल लगाल लगाल।(12 वर्ण) ध्रुव शब्द- "भाव" ------------------------------------------------- रचें मधुभाव भरे हम छंद। सुवासित ज्यों महके गुलकंद।। रचें बहु सुंदर-सुंदर गीत। तपाकर... Hindi · गीत 1 254 Share जगदीश शर्मा सहज 1 Oct 2021 · 1 min read आत्मा न जाने कौन से ब्रह्मांड में हम लोग जाते हैं। न जाने कौन से परिवार मे जाकर समाते हैं।। किसी भी योनि में जन्में, अमर है आत्म सत्ता तो। तभी... Hindi · मुक्तक 3 6 257 Share जगदीश शर्मा सहज 30 Sep 2021 · 1 min read कौवे का ग्रास श्राद्ध के दिन दादी को छत पर ग्रास रखते देख नन्हीं आख्या ने उत्सुकता से पूछा- "दादी कौआ को खाना क्यों खिलाते हैं ?" दादी मंद-मंद मुस्काती हुई कहने लगी-... Hindi · लघु कथा 1 336 Share जगदीश शर्मा सहज 30 Sep 2021 · 1 min read नया दौर हम सभी रफ्तार से चलने लगे हैं। शीघ्रता से दिन सभी ढलने लगे हैं।। कर रहे हैं बात अपनी ऊँगलियों से। पास के सम्बंध अब खलने लगे हैं।।(१) भावनाओं के... Hindi · मुक्तक 2 6 264 Share जगदीश शर्मा सहज 30 Sep 2021 · 1 min read पेटू रिश्वत खा-खा कर हुए, "पेटू" पोपटलाल। सरकारी ससुराल में , खींच रहे हैं माल ।। खींच रहे हैं माल, प्रशासन की इनको सह। जनता को दुत्कार, हमेशा भटकाते यह ।।... Hindi · कुण्डलिया 1 2 375 Share जगदीश शर्मा सहज 30 Sep 2021 · 1 min read निगाहें न फेरो *गीत आधार छंद शैल (मापनी युक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- लगागा लगागा लगागा लगाल निगाहें न फेरो करो खूब प्यार । न मानो कभी प्रेम में जीतहार।। लिए सात फेरे सजी... Hindi · गीत 1 220 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Sep 2021 · 1 min read "भारत बंद" करीब अठारह महिने बाद आज फिर से खुशी के स्कूल खुल रहे हैं वह सारे घर में चहल-कदमी करती हुई फुदक रही है। कोरोना काल में वह कक्षा एक से... Hindi · लघु कथा 471 Share जगदीश शर्मा सहज 19 Sep 2021 · 1 min read सागर से टकराता कौन आधार छन्द- वीर/आल्ह (मापनीमुक्त मात्रिक) विधान- 31 मात्रा, 16-15 पर, अंत गाल। समान्त- आता, पदान्त- कौन। जीवन नश्वर, मृत्यु अटल है, सच्चा अर्थ सिखाता कौन। सागर में जब लहरें उठतीं,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 4 229 Share जगदीश शर्मा सहज 19 Sep 2021 · 1 min read "जन-जन के मोदी" समयोचित निर्णय लेने की, अद्भुद क्षमता है मोदी में। भारत माता के चरणों में, सच्ची श्रद्धा है मोदी में ।। समता, सेवा, श्रमसाधकता जिसके बल पर गर्वित भारत। आशा, आकांक्षा,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 328 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Mar 2021 · 1 min read कविता हृदय से फूटती कविता हृदय से फूटती मानस पटल पर कौंधती जब भावना का ज्वार हो लिपि का वृहद भंडार हो लय, ताल स्वर को बाँधकर सरिता सदृश ये कूदती कुछ और कवि... Hindi · गीत 1 297 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Mar 2021 · 1 min read लाड़ली भोली चिरैया लाड़ली भोली चिरैया शहर के भीतर न आना शहर में झाड़ी नहीं है बैठने को घास का तिनका नहीं है नोंचने को है कहाँ सुखसार छैया हर्ष का बीता जमाना... Hindi · गीत 2 405 Share जगदीश शर्मा सहज 17 Mar 2021 · 1 min read साथी से मिलने का मौसम सूखा पतझर नीचे बिखरा, नूतन कोपल उग आई है। झूमी हर डाली मतवाली, सुरभित हरियाली छाई है।। शाखाओं ने शृङ्गार किया , पहना हो जैसे हार नया । बलखाती अलबेली... Hindi · कविता 1 4 356 Share जगदीश शर्मा सहज 9 Mar 2021 · 1 min read पुरुष फौलाद से निर्मित पुरुष,तू हौसला खोना नहीं। इंसानियत को रौंदकर,अपकर्म को ढोना नहीं।। तुझमें दया, ममता नहीं, निष्ठुर महासागर सदा । तू दर्द के तूफान से विचलित कभी होना नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 293 Share जगदीश शर्मा सहज 4 Mar 2021 · 1 min read अश्रु तुम पानी नहीं हो आँसुओं!तुम आत्मबल खोना नहीं। जीर्ण होकर व्यर्थ में रोना नहीं।। आँसुओं, तुम तो सदा निष्पाप हो। वेदना का गूँजता आलाप हो।। तुम कमलदल का सरोवर शांत सा। दैन्य दुख में... Hindi · गीत 1 1 212 Share जगदीश शर्मा सहज 4 Mar 2021 · 1 min read त्रासदी जनसंख्या और बेरोजगारी ले डूबेगी यदि नहीं रुकी तो भीषण त्रासदी फूटेगी। बेतहाशा बढ़ते वाहनों का शोर जीते जी कहीं रुला न दे, धू - धू जलता वायुमंडल वायु में... Hindi · कविता 1 1 408 Share जगदीश शर्मा सहज 20 Feb 2021 · 1 min read 'प्रिये, तुम प्रण निभाना' ढले जब शाम की लाली, उजाला चंद्रमा का हो। नुपुर झंकार करके तुम, सदन मेरे चली आना ।। मदन बनकर करूँ विचरण, तुम्हारे रूप यौवन में । फिरे ज्यों मृग... Hindi · गीत 1 365 Share जगदीश शर्मा सहज 17 Feb 2021 · 1 min read जय माँ शारदे शुभदा, अनुकोष हृदय भर दे । स्वर, अक्षर का, मति का वर दे ।। नव गीत, नया विश्वास जगे, उत्साह जगे, अभिलाष जगे। अणिमा, लघिमा, अभिधा बरसे, नव हर्ष, नया... Hindi · गीत 1 1 492 Share जगदीश शर्मा सहज 10 Feb 2021 · 1 min read 'संगमरमर के जैसी तराशी हो तुम' "ग़ज़ल" तेरा आँचल बदन से जो लहरा गया इन अदाओं से बादल भी बदरा गया. आग दरिया में जैसे लगी हो मगर मैं जमीं पर किनारों से टकरा गया. संगमरमर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 12 289 Share जगदीश शर्मा सहज 9 Feb 2021 · 1 min read कुछ हाइकू वसंतागमन के पूर्व १. नई कोपलें निपूते ठूँठ पर रोजाना फलें २. झूमा आँगन मौसम सुहावना हरा बिछौना ३. नूतन वर्ष ऋतुराज वसंत सर्दी का अंत ४. माघ महिना वसंत आगमन शुक्ल पंचमी... Hindi · हाइकु 3 3 229 Share जगदीश शर्मा सहज 9 Feb 2021 · 1 min read चॉकलेट डे इज़हारे मोहब्बत में लेट हो गए , वो चाय की केतली हम प्लेट हो गए। घर-गृहस्थी की गाड़ी में ऐसे उलझे, हम बबलगम वो चॉकलेट हो गए।। जगदीश शर्मा सहज Hindi · मुक्तक 2 3 260 Share Previous Page 2 Next